मुंबई लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में जज बीएच लोया मामले में पुनर्विचार याचिका दायर की है। अदालत ने पिछले महीने मामले की दोबारा जांच के लिए दायर याचिका खारिज कर दी थी।
याचिका में अदालत के निष्कर्षों को हटाने की भी मांग की गई जिसमें कहा गया कि न्यायपालिका की आजादी पर हमला और न्यायिक संस्थानों की विश्वसनीयता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है कि उनका प्रयास मामले को न तो सनसनीखेज करना नहीं था और न ही न्यायपालिका की आजादी पर हमला करने या न्यायिक संस्थानों की विश्वसनीयता के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास था। याचिकाकर्ता एसोसिएशन का प्रयास पूरे न्यायपालिका को आश्वस्त करना था कि एसोसिएशन अपने जीवन में चुनौती के समय हर जज के पीछे खड़ा होगा। साथ ही जस्टिस लोया मामले में न्याय की मांग की गई है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय पीठ ने 19 अप्रैल को जज लोया की जांच कराने की मांग की याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जजों के बयान पर हम संदेह नहीं कर सकते। राजनीतिक लड़ाई मैदान में की जानी चाहिए, कोर्ट में नहीं। कोर्ट ने कहा था है कि जज लोया की मौत प्राकृतिक है। जनहित याचिका का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। अब फिर से लॉयर्स एसोसिसएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की फिर से जांच करवाने की मांग की है।
जस्टिस लोया शोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में विभिन्न आला पुलिस अफसरों और भाजपा अध्यक्ष अमित शाम का नाम सामने आया था। नागपुर में जस्टिस लोया की 2014 में दिल का दौरा पड़ने से उस समय मौत हो गई थी जब वह अपने एक मिल की बेटी की शादी में शामिल होने गए थे। महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोने और एक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला ने अलग से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। उनका कहना था कि लोया की मौत संदिग्ध परिस्तिथियों में हुई थी।