लोकसभा में आज बिना किसी चर्चा के एक अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए बजट पारित कर लिया गया। सदन में लगातार आठवें दिन भी विपक्ष के हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित रही। हाल के वर्षो में संभवत: यह पहला मौका है जब पूरा बजट बिना चर्चा के लोकसभा में पारित हुआ हो।
सदन में जारी गतिरोध के बीच लोकसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त एवं विनियोग विधेयक 2018 पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई। इससे पहले विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की 99 मांगों को ‘गिलोटिन’ के जरिए मंजूरी दी गई। सदन ने ध्वनिमत से विपक्ष के विभिन्न कटौती प्रस्तावों को नामंजूर कर दिया, साथ ही 21 सरकारी संशोधनों को पारित किया। सत्तारूढ़ राजग को लोकसभा में पूर्ण बहुमत हासिल है।
इसके बाद वित्त और विनियोग विधेयक 2018 को राज्यसभा को भेजा जाएगा। चूंकि यह धन विधेयक है, ऐसे में राज्यसभा में इसके 14 दिन में मंजूर नहीं होने की स्थिति में भी इन्हें पारित माना जाएगा। उसके बाद इन्हें राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग, पीएनबी धोखाधड़ी मामले समेत विभिन्न मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच लोकसभा में वित्त एवं विनियोग विधेयक को पारित किया गया। हंगामे के बीच वित्त एवं विनियोग विधेयक पारित किए जाने के विरोध में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राकांपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
सदस्यों के शोर शराबे के दौरान ही सदन ने 2017-18 के अनुदान की अनुपूरक मांगों के चौथे बैच और इससे संबंधित विनियोग विधेयक को भी ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। वित्त एवं विनियोग विधेयक 2018 पारित होने के बाद अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी ।
इससे पहले, सुबह बैठक शुरू होने पर हंगामा जारी रहा और कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन में हंगामे के कारण लगातार आठवें दिन प्रश्नकाल नहीं हो सका। इससे पहले ही बजट सत्र के दूसरे चरण में शुरुआती सात दिन की कार्यवाही इन्हीं मुद्दों पर हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है।