मोदी सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआईI) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुखों का कार्यकाल मौजूदा दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार रविवार को दो अलग-अलग अध्यादेश लेकर आई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोनों अध्यादेशों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके मुताबिक, दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद तीन साल के लिए हर साल शीर्ष एजेंसियों के प्रमुखों के कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है। अध्यादेश ऐसे समय पर लाया गया है जब जल्द ही संसद का शीतकालीन सत्र आयोजित होने वाला है। इस समय ईडी का नेतृत्व आईआरएस संजय के. मिश्रा कर रहे हैं, जबकि आईपीएस सुबोध जायसवाल मौजूदा सीबीआई प्रमुख हैं।
अध्यादेश के अनुसार, कार्यकाल में दो साल पूरे होने के बाद अगर सेवा विस्तार को चयन समिति द्वारा मंजूर किया जाता है, तो ऐसी स्थिति कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है। दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 में संशोधन करने वाले एक अध्यादेश के माध्यम से यह परिवर्तन प्रभावी हुआ था। इसी तरह के एक अन्य अध्यादेश में केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 में संशोधन करते हुए ईडी प्रमुख के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, इसके अंतर्गत कार्यकाल को एक साल में एक बार ही बढ़ाया जा सकेगा।
हाल ही में जस्टिस एलएन राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल विस्तार से जुड़े मामले में निर्णय दिया था, जिसमें अदालत ने कहा कि "एक्सटेंशन (कार्यकाल विस्तार) केवल असाधारण परिस्थितियों में दिया जाना चाहिए। "प्रवर्तन निदेशालय के मुखिया के तौर पर उनका दो साल का कार्यकाल अगले हफ्ते 17 नवंबर को खत्म हो रहा है।
विपक्षी दलों की ओर से केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया जाता रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों के जरिये उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि सरकार का कहना है कि एजेंसियों के काम में उसका कोई दखल नहीं है और वे अपना काम कानून और नियमों के मुताबिक ही कर रही हैं।