राफेल पेपर लीक मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा कि देश की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ है। सरकार की बिना मर्जी के राफेल के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो कॉपी की गई, जिसे चोरी से दफ्तर से बाहर ले जाया गया।
रक्षा मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा है कि राफेल मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा संलग्न किए गए दस्तावेज राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील हैं जो युद्धक विमानों की युद्ध क्षमता से संबंधित हैं। जिन लोगों ने राफेल सौदे के दस्तावेज लीक करने की साजिश की है उन्होंने दंडनीय अपराध किया है।
'संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के दोषी हैं याचिकाकर्ता'
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में है कि जिन लोगों ने याचिका में नत्थी करने के लिए बिना मंजूरी के संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो कॉपी करने की साजिश की, उन्होंने चोरी की है। याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, प्रशांत भूषण संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के दोषी हैं। इस तरह दस्तावेज लीक किए जाने से संप्रभुता और विदेशी संबंध पर विपरीत असर हुआ है। मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी गई है।
'पेश की जा रही है आधी अधूरी तस्वीर'
सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में आंतरिक मंत्रणा के बारे में आधी-अधूरी तस्वीर पेश करने के लिए अनाधिकृत तरीके से प्राप्त दस्तावेज अपने हिसाब से पेश कर रहे हैं। हलफनामे में कहा कि याचिका में जिन दस्तावेजों को आधार बनाया गया है वे एक श्रेणी के हैं, जिनके लिए साक्ष्य कानून के तहत विशेषाधिकार का दावा किया जा सकता है।
दस्तावेज चोरी होने की कही थी बात
इससे पहले राफेल पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि कुछ दस्तावेजों को रक्षा मंत्रालय से चोरी किया गया है। फिर अपने ही बयान से पलटते हुए उन्होंने कहा कि वे दस्तावेज चोरी नहीं हुए बल्कि लीक हुए हैं।
कोर्ट दे चुका है क्लीनचिट
सुप्रीम कोर्ट ने भारत व फ्रांस के बीच हुए राफेल करार को चुनौती देने वाली सारी याचिकाएं 14 दिसंबर को खारिज कर दी थीं और सरकार को क्लीनचिट दे दी थी। इस फैसले के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी व यशवंत सिन्हा तथा वकील प्रशांत भूषण ने साझा पुनर्विचार याचिका दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने सारी याचिकाएं खारिज करने का फैसला किया तब केंद्र ने अहम तथ्य छिपाए थे।