सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान लागू किये गये विमान किराया विनियमन की शर्तों में बदलाव किया है जिससे हवाई यात्रा महँगी हो सकती है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आज एक आदेश जारी कर कहा है कि अब मात्र 20 प्रतिशत सीट ही उच्चतम और न्यूनतम सीमा के औसत से कम पर बुक करना अनिवार्य होगा। यानी विमान सेवा कंपनियाँ अब ऊँचे दाम पर ज्यादा टिकट बेच सकेंगी। इसके साथ ही विमान किराया नियमन की अवधि भी 24 फरवरी 2021 से बढ़ाकर अब 31 मार्च 2021 तक कर दी गई है।
महामारी के दौरान सरकार ने उड़ान के समय के अनुसार विमान किराये की न्यूनतम और उच्चतम सीमा तय कर दी थी। पहले एयरलाइंस के लिए उपलब्ध सीटों में कम से कम 40 प्रतिशत टिकट उच्चतम और न्यूनतम किराया सीमा के औसत से कम पर बुक कराना अनिवार्य था। उदाहरण के लिए पटना से राँची का न्यूनतम किराया दो हजार रुपये और अधिकतम किराया छह हजार रुपये तय किया गया है। ऐसे में विमान सेवा कंपनी के लिए कम से कम 40 प्रतिशत सीट की बुकिंग चार हजार रुपये या उससे कम में करना अनिवार्य था।
पूर्ण बंदी के दौरान दो महीने तक सभी तरह की नियमित यात्री उड़ानों पर प्रतिबंध के बाद जब 25 मई 2020 को घरेलू यात्री उड़ानें दुबारा शुरू की गई तो सरकार ने किराये की उच्चतम और न्यूनतम सीमा तय कर दी थी। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने उस समय कहा था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि विमान सेवा कंपनियाँ लोगों की मजबूरी का लाभ उठाकर मनमाना किराया न वसूल सकें। यात्रियों की संख्या और उड़ानों की उपलब्धता बढ़ने के बाद इसे हटा दिया जायेगा। घरेलू मार्गों पर यात्रियों की संख्या कोविड-पूर्व की तुलना में 80 प्रतिशत से अधिक पर पहुँच चुकी है, लेकिन सरकार अभी किराया सीमा हटाने के पक्ष में नहीं है।