छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने झीरम घाटी नक्सल हमले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है। इस हमले में नक्सलियों ने राज्य में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं समेत 29 लोगों की हत्या कर दी थी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो बस्तर के झीरम घाटी नक्सल हमले की जांच एसआईटी से कराएंगे। साल 2013 के मई महीने में नक्सलियों ने कांग्रेस के नेताओं की गाडियों को घेर कर उन पर हमला बोल दिया था।
मारे गए थे कांग्रेस के कई बड़े नेता
हमले में कांग्रेस के पूर्व मंत्री और सांसद महेंद्र कर्मा, वरिष्ठ नेता विद्या चरण शुक्ल और छत्तीसगढ़ कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल समेत कुल 29 लोगों की मौत हो गई थी। वारदात को अंजाम देने के साथ ही नक्सलियों ने मौके से हथियार लूट लिए थे। राज्य सरकार ने घटना की जांच एनआईए को सौंप दी थी।
एनआईए ने अपनी तफ्तीश के बाद वारदात में शामिल 9 नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। 21 मार्च 2014 को एनआईए की स्पेशल कोर्ट में फरार नक्सलियों के नाम की सूची पेश की थी और कहा था कि फरार आरोपियों को गिरफ्तारी करने की कोशिशें जारी है।
अभी भी फरार हैं कई नक्सली
इस सूची में बड़े नक्सली नेता मुपाला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति उर्फ रमन्ना उर्फ श्रीनिवास उर्फ दयानंद उर्फ गुडसे दादा पिता गोपाल राव निवासी वेल्हमा वीरपुर जिला करीमनगर आंध्रप्रदेश, रवुला श्रीनिवास उर्फ रमन्ना उर्फ संतोष कुंता रमाना उर्फ श्रीनु उर्फ नरेन्द्र पिता रामलिंगम निवासी बेक्कल मंडल मद्दूर जिला वारंगल आंध्रप्रदेश सहित 26 नक्सलियों के नाम दर्ज थे।
एनआईए ने 2015 में मामले में आखिरी चालान पेश किया था। इसमें नक्सली संगठन के सचिव मुपाला लक्ष्मण राव और पीएलजीए के मुख्य कमांडर रवुला श्रीनिवास उर्फ रमन्ना का नाम हटा दिया गया। वहीं, स्थानीय स्तर के केवल नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई थी, बाकी फरार हैं।