सुप्रीम कोर्ट बुधवार को मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के कार्यालय पर आरटीआई कानून लागू करने के मामले में फैसला सुनाएगा। पांच जजों की संविधान पीठ यह तय करेगी कि सीजेआई के कार्यालय पर पारदर्शिता कानून और सूचना का अधिकार (आरटीआई) लागू किया जा सकता है या नहीं। बेंच ने 4 अप्रैल को इस मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सर्वोच्च न्यायायाल के सामने यह मामला तब आया, जब सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने जनवरी, 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील की, जिसमें सीजेआई के दफ्तर को आरटीआई के तहत माना गया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सीजेआई के दफ्तर को आरटीआई कानूनी की धारा 2(एच) के तहत “पब्लिक अथॉरिटी” करार दिया था।
आरटीआई के तहत सीजेआई दफ्तर से मांगी गई जानकारी
दरअसल, सुभाष चंद्र अग्रवाल ने आरटीआई के तहत सीजेआई दफ्तर से जानकारी मांगी थी। हाईकोर्ट में उनके वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि आरटीआई कानून आने से पहले भी अदालत ने अपने फैसलों के जरिए पारदर्शिता का समर्थन किया है। उन्होंने कहा था कि जब भी न्यायिक कार्रवाई में पारदर्शिता का मामला आया, तो अदालत का रुख साफ नहीं रहा।
सीजेआई रिटायरमेंट से पहले सुनाएंगे फैसला
इस मामले की सुनवाई करने वाली पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूण, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। 17 नवंबर को सीजेआई के रिटायरमेंट से पहले वह इस मामले में फैसला सुनाएंगे।