उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के राज्यपाल से कहा है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी ए.जी. पेरारिवलन की दया याचिका पर विचार करें। पेरारिवलन को 1991 में राजीव गांधी की हत्या में दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
पेरारिवलन के वकील ने सुनवाई कर रही पीठ को बताया कि दो साल से लंबित दया यातिका में कोई निर्णय लिया जाना अभी शेष है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, नवीन सिन्हा और केएम जोसफ की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
पेरारिवलन ने 30 दिसंबर 2015 को दया याचिका दायर की थी। उसके वकील के अनुसार पेरारिवलन 24 साल से जेल में बंद है, ऐसे में दया याचिका पर विचार किया जाना चाहिए।
संविधान का अनुच्छेद 161 देता है अधिकार;
सात अन्य दोषियों के साथ पेरारिवलन हत्या के आरोप में सजा काट रहा है। पेरारिवलन ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्य के राज्यपाल के पास दया याचिका दायर की है। जिसके अंतर्गत उसे पूरी तरह क्षमा किया जा सकता है अथवा उसकी सजा की अवधि कम की जा सकती है।
न्यायालय ने इस पर केंद्र सरकार से तमिलनाडु के उस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया पूछी थी जिसमें राज्य सरकार ने दोषियों को मुक्त करने के लिए कहा था। केंद्र सरकार ने इसे असहमति जताते हुए कहा कि दोषिय़ों को छोड़ना ‘खतरनाक उदाहरण’ बन जाएगा।
राज्य के द्वारा रिहाई की कोशिश, केंद्र की रोक और न्यायालय;
राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा से राहत पाने वाले सभी दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ में सुनवाई चल रही है। जारी है। राज्य सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा से दया याचिका के निपटारे में देरी के कारण न्यायालय से राहत पाने वाले सभी दोषियों संथन, मुरुगन, पेरारिवलन और उम्रकैद की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरन, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन और जयकुमार को रिहा करने का आदेश दिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी जिसके बाद न्यायालय ने रिहाई पर रोक लगा दी थी।