दिल्ली के सराय काले खां इलाके में मिलेनियम पार्क के पास नीरज भाजां गैंग के बदमाशों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई। जिसमें एक बदमाश सद्दाम को पैर में गोली लगी जबकि दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। घायल बदमाश को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि गैंग का सदस्य नवीन भांजा भागने में कामयाब हो गया। नीरज को अपने मामा और दिली के पूर्व एमएलए रामवीर शौकीन का राजनैतिक संरक्षण प्राप्त था।
सद्दाम जब अपनी बाइक से वहां पहुंचा तो पुलिस ने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन वह भागने की कोशिश कर रहा था। सद्दाम अपनी बाइक को पुलिस के बनाए पिकेट तक ले गया और फिर वहां से बच निकलने के लिए पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जिसके बाद पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें सद्दाम घायल हो गया। पुलिस ने सद्दाम के पास से एक पिस्टल और कई गोलियां बरामद की है।
नवीन भांजा कोटलामुबारकपुर में 4 दिन पहले गोली चली थी उसमे और कुछ केस में वांटेड था, पुलिस को पता लगा कि ये बाईक पर आने वाला है उसी दौरान इसे पकड़ने की कोशिश हुई। पुलिस ने सद्दाम को गिरफ्तार करने के पूरी योजना बनाई थी। पुलिस पहले से ही सराय काले खां बस स्टैंड पर मौजूद थी। सद्दाम के खिलाफ खिलाफ लूट, जबरन वसूली और हत्या समेत कई मामले दर्ज है। पुलिस को सद्दाम की लंबे समय से तलाश की।
नीरज कैसे बना डॉन
दिल्ली के बवाना में 1988 में जन्मे नीरज के पिता डीटीसी कंडक्टर थे। नीरज ने पहली बार 19 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में कदम रखा तो फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वह जुर्म के रास्ते पर तेजी से बढ़ा, लेकिन उस समय दिल्ली का डॉन नीतू दाबोदा उसके रास्ते का कांटा था। नीतू दाबोदा गैंग के अलावा तब पारस गैंग, कर्मबीर गैंग का भी बोल-बाला था। साल 2013 में दिल्ली पुलिस ने नीतू दाबोदा को एक एनकाउंटर में मार दिया, उसके बाद नीरज का रास्ता साफ हो गया और उसने दिल्ली का डॉन बनने की ठान ली, लेकिन चालाक नीरज पुलिस से सीधे तौर पर टकराव नहीं चाहता था।
विधायक मामा से मिला राजनैतिक संरक्षण
नीरज ने अपने मामा और पूर्व एमएलए रामवीर शौकीन का हाथ थामा। नीरज ने मामा की चुनावी जमीन तैयार करने के लिए अवैध तरीकों से कमाया गया पैसा जमकर खर्च किया और उसका मामा उसे राजनीतिक संरक्षण देता रहा और कई बार उसने वारादात के बाद घर में पनाह भी दी। दिल्ली विधान सभा चुनाव से पहले फरवरी 2015 में रामबीर शौकीन की पत्नी को चुनाव में मदद करने के लिए आए नीरज बबाना गैंग के नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
नीरज बवाना धीरे-धीरे दिल्ली से बाहर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में भी अपराध करने लगा। उसके गैंग के लोग जिस राज्य में पकड़े जाते वहां जेल जाते ही दूसरे अपराधियों से दोस्ती गांठकर वहीं से फिरौती का धंधा करने लगे। पिछले साल दिसंबर में उसने बागपत में पेशी के लिए आए अमित उर्फ भूरा को उत्तराखंड पुलिस की कस्टडी से छुड़ा लिया और पुलिस की दो राइफल और एक एसएलआर भी लूट ली। इसके बाद वह कोलकता भाग गया और वहां एक किराए के फ्लैट में रहा।