यमुना नदी में पानी के "खतरे के निशान" से ऊपर पहुंचने के बाद अपने घरों को छोड़कर, दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित राहत शिविरों में रहने पर मजबूर लोगों में गुस्सा है। जहां कुछ लोगों ने हर साल यमुना में लोगों के घरों में बाढ़ आने के बावजूद सबक सीखने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना की, वहीं अन्य ने दावा किया कि उन्हें निकालने के लिए कोई बचाव दल नहीं आया।
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार में बनाए गए राहत शिविर में रह रहीं रूबी देवी ने दावा किया, "हमने अपना घर खो दिया। हमारे पास कुछ नहीं रह गया है। हमने अपना सारा सामान खो दिया। हमें बचाने कोई नहीं आया। हम अपने आप यहां आए हैं। हमारे बच्चे हमसे ज़्यादा परेशानी झेल रहे हैं। उनके स्कूल बंद कर दिए गए हैं।"
बता दें कि रूबी उन लोगों में से हैं, जिन्होंने दिल्ली और यमुना के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में कई दिनों की भारी बारिश के बाद अपने सिर से छत खो दी है। इधर, मयूर विहार के राहत शिविर में रहने वाले कई लोगों ने मूलभूत सुविधाएं की कमी की शिकायत की है।
पीटीआई के अनुसार, शिविर में रहने वाली एक अन्य महिला ने कहा, "हम यहां बहुत मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। हमने सबकुछ खो दिया है। अब हम क्या करेंगे ? हम जैसे गरीब लोग कष्ट भोग रहे हैं ना कि नेता। सरकार झूठे वादे करती है लेकिन धरातल पर कुछ नहीं करती।"
उन्होंने आरोप लगाया, "हम गर्दन तक पानी पार करके अकेले ही यहां आये हैं। हमारे घरों में पानी भर गया। अब हम कहां जाएंगे? हमें जो टेंट आवंटित किए गए हैं, वे ऐसे हैं कि अगर बारिश हुई तो हम फिर से बेघर हो जाएंगे।" सरकारी एजेंसियों ने कहा कि दिल्ली में यमुना बुधवार को 207.55 मीटर तक बढ़ गई, जिसने 1978 में बनाए गए 207.49 मीटर के अपने सर्वकालिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के बाढ़ निगरानी पोर्टल के अनुसार, पुराने रेलवे ब्रिज पर जल स्तर 2013 के बाद पहली बार सुबह 4 बजे 207 मीटर के निशान को पार कर गया और बढ़कर 207.55 मीटर हो गया। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नदी के और बढ़ने की संभावना है।
भोजन पाने के लिए लाइन में लगे राधे कृष्ण नाम के व्यक्ति ने कहा, "यहां एक स्थानीय गुरुद्वारा भोजन परोस रहा है। सरकार हमारे लिए क्या कर रही है? पिछले साल भी बाढ़ की चेतावनी जारी की गई थी लेकिन सरकार ने शायद ही कुछ किया। स्थिति जस की तस बनी हुई है। केजरीवाल सरकार क्या कर रही है ? वे हमारे पास वोट मांगने आते हैं लेकिन जब हम मुसीबत में होते हैं तो उनके पास हमारे लिए समय नहीं होता।"
राजघाट बस डिपो के पास राहत शिविर में, एक किसान किशन ने कहा कि वह हर साल बाढ़ के कारण अपनी फसल खो देते हैं। यह पूछे जाने पर कि उन्होंने अबतक किसी और जगह जाने का फैसला क्यों नहीं किया, किसान ने कहा, "मेरे पास खुद ऐसा करने की क्षमता नहीं है लेकिन अगर सरकार मदद करेगी तो जरूर आगे बढ़ेंगे।"
राहत शिविर में रह रही एक महिला शबाना ने मांग की कि सरकार उसके नुकसान की भरपाई करे और रहने के लिए दूसरी जगह मुहैया कराये। उधर, दिल्ली की मंत्री आतिशी ने राहत शिविरों का दौरा किया और कहा कि दिल्ली सरकार नदी के तटबंधों को मजबूत कर रही है और बाढ़ क्षेत्रों से लोगों को निकाल रही है।
दिल्ली में पिछले तीन दिनों में यमुना के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह रविवार सुबह 11 बजे 203.14 मीटर से बढ़कर सोमवार शाम 5 बजे 205.4 मीटर हो गया, जो उम्मीद से 18 घंटे पहले खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया।