दिल्ली सरकार ने बिजली नियामक डीईआरसी में दो अस्थायी सदस्यों की नियुक्ति की है, जिससे डेढ़ साल से अधिक की अवधि के बाद आयोग में अध्यक्ष समेत पूरी ताकत आ गई है। दोनों सदस्यों की नियुक्ति का आदेश आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद जारी किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि बिजली विभाग ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल द्वारा शॉर्टलिस्ट किए जाने के बाद दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के प्रोटेम (अस्थायी) सदस्यों के रूप में राम नरेश सिंह और सुरेंद्र बब्बर की नियुक्ति का आदेश जारी किया है।
उन्होंने बताया कि शुरुआत में लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने और बाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के कारण दो प्रोटेम सदस्यों की नियुक्ति में बाधा आई थी।
सिंह एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं, जिन्होंने आखिरी बार दामोदर घाटी निगम के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। बब्बर दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड में कार्यकारी निदेशक (वित्त) के पद पर तैनात थे। बिजली नियामक के प्रमुख की नियुक्ति को लेकर दिल्ली की आप सरकार और उपराज्यपाल के बीच गतिरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2023 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जयंत नाथ को डीईआरसी के अस्थायी अध्यक्ष के रूप में नामित किया।
नवंबर 2023 में कोर्ट ने डीईआरसी के लिए दो प्रोटेम सदस्यों को शॉर्टलिस्ट करने और नियुक्त करने के लिए तीन सदस्यीय चयन पैनल का गठन किया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित कार्यवाही के नतीजे आने तक प्रोटेम सदस्य पद पर बने रहेंगे।
डीईआरसी हर साल बिजली शुल्क तय करता है, जो चालू वर्ष के लिए अभी तक नहीं किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि प्रोटेम सदस्यों की तत्काल जिम्मेदारी प्रक्रिया को पूरा करने और वित्तीय वर्ष के लिए बिजली शुल्क की घोषणा करने की होगी।