शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि कांग्रेस को 56 साल पुराने नेशनल हेराल्ड हाउस खाली करना होगा। हाईकोर्ट ने दो हफ्ते का समय देते हुए कहा कि अगर तय समय सीमा के अंदर खाली नहीं किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी। साथ ही हाईकोर्ट ने एलएनडीओ के लीज रद्द करने के फैसले को भी रद्द करने से इनकार कर दिया है।
जस्टिस सुनील गौर की पीठ ने सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। 30 अक्टूबर को एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को एलएनडीओ ने नोटिस भेजकर 15 नवंबर तक खाली करने का आदेश दिया था जिसे एजेएल ने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 22 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एजेएल को समाचार पत्र प्रकाशन के लिए बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित जमीन लीज पर दी गई थी लेकिन वहां पर 2008 से 2016 के बीच प्रकाशन बंद कर दिया गया। कंपनी ने इस इमारत की तीन मंजिल किराये पर दे दी थी। यह लीज की शर्तों का उल्लंघन है इसलिए कंपनी को हेराल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया गया था।
लीज रद्द करने का लिया था फैसला
एजेएल की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि केंद्र ने पहला नोटिस सितंबर 2016 में दिया था और उसके बाद अक्तूबर 2018 में इस मुद्दे को उठाया। मेहता ने सिंघवी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड व दूसरे पत्रों का प्रकाशन सरकार के नोटिस के बाद 2016 में दोबारा शुुरू किया गया था। इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि जब एजेएल ने दोबारा प्रकाशन शुरू कर दिया था, तो फिर नोटिस देने की क्या जरूरत थी।तो तुषार मेहता ने कहा था कि उन्होंने अखबार जब शुरू किया तब हमने कारवाई करने का और लीज रद्द करने का फैसला कर लिया।