दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि राजधानी की स्वास्थ्य सुविधाओं की पारदर्शिता में सुधार और जनता को सुविधा प्रदान करने के लिए यह सुनिश्चित करे कि सभी प्रमुख अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंग होम अपने परिसर के बाहर प्रवेश द्वार पर एलईडी बोर्ड लगाएं। साथ ही उस पर बेड की उपलब्धता (कोविड व नान कोविड दोनों के संदर्भ में), कमरों के लिए फीस और एडमिशन के लिए संबंधित व्यक्ति का विवरण साफ-साफ अक्षरों में प्रदर्शित करें।
उपराज्यपाल ने स्वास्थ्य विभाग को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि इन एलईडी बोर्डों पर प्रदर्शित डेटा की सरकारी ऐप और पोर्टल पर उपलब्ध डेटा के साथ समानता हो। उन्होंने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश दिए कि वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्ति कर अस्पतालों का समय-समय पर औचक निरीक्षण किया जाए ताकि यह तय हो सके कि अस्पतालों द्वारा उपलब्ध और प्रदर्शित डेटा सही है। कोई भी अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंग होम किसी मरीज को दाखिला से मना न करें और ना ही ओवरचार्ज करें।
उपराज्यपाल के आदेश को लागू करेंगेः केजरीवाल
इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि उनकी सरकार केंद्र का निर्णय और उपराज्यपाल अनिल बैजल के आदेश को लागू करेगी जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी तथा निजी अस्पतालों में आरक्षण को लेकर निर्णय को पलट दिया है। उन्होंने कहा कि यह आपस में लड़ने का वक्त नहीं है, बल्कि कोरोना से मिलकर लड़ने का समय है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के सामने आगे अभूतपूर्व चुनौतियां हैं क्योंकि आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड-19 के मामले आने वाले दिनों में तेजी से बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि दिल्ली को स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों में 31 जुलाई तक डेढ़ लाख बेड की जरूरत होगी, जब अन्य राज्यों से लोग यहां इलाज के लिए आना शुरू करेंगे। यह अनुमान है कि 1.5 लाख बेडों में से दिल्लीवासियों के लिए 80 हजार बेडों की आवश्यकता होगी।
कोविड से लड़ना चुनौती
केजरीवाल ने कहा कि अभी हमारे सामने बड़ी चुनौती यह है कि हम सभी को मिलकर कोविड-19 के खिलाफ लड़ना होगा। आंप सरकार सभी को इलाज मुहैया कराने का एक ईमानदार प्रयास करेगी।
बता दें कि दिल्ली में कोविड-19 के संक्रमितों की संख्या 31,309 पहुंच गई है जबकि अब तक 905 लोग इस बीमारी से जान गंवा चुके हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को जारी ताजा बुलेटिन के अनुसार अब भी 18,543 लोगों का इलाज चल रहा है जबकि 11,861 मरीज या तो स्वस्थ हो गए या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।