देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार जारी हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नागरिकता को साबित करने वाले दस्तावेज की मांग गई है। केरल के त्रिशूर जिले के रहने वाले जोशे कल्लूवेटिल ने 13 जनवरी को राज्य के सूचना विभाग में नागरिकता संशोधन कानून, 2019 के दस्तावेजों पर स्प्ष्टीकरण के लिए आरटीआई दायर की है जिसे संसद ने पिछले साल दिसंबर में पारित किया था।
'आउटलुक' से बात करते हुए कल्लूवेटिल का कहना है कि उनका इरादा हवा में चले रहे कानून और इसके खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर नागरिकता साबित करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों पर स्पष्टता लाने का था। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार ने कहा था कि आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड, पैन कार्ड या पासपोर्ट का इस्तेमाल किसी की नागरिकता साबित करने के लिए नहीं किया जा सकता है। मैंने सोचा, यदि हम पीएम के दस्तावेजों की जानकारी हासिल कर लेंगे तो उनके इन दस्तावेजों के आधार पर जनता की आशंकाएं भी दूर हो जाएंगी और वे लोग भी अपनी नागरिकता साबित करने के लिए उन्हीं दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सकेंगे।'
'मिले कई फोन कॉल'
सूचना के अधिकार अधिनियम के अनुसार, जोशे ने दस्तावेज पाने के लिए अपने आवेदन में नागरिकता साबित करने के लिए प्रधानमंत्री का नाम नरेंद्र दामोदरदास मोदी लिखा है। 38 वर्षीय कल्लूवेटिल का कहना है कि नगर पालिका अधिकारी द्वारा उनके आरटीआई आवेदन के बारे में जानकारी लीक होने के बाद उसे इसकी सराहना के लिए कुछ भाजपा समर्थकों समेत दक्षिणपंथी समूह के कई फोन कॉल और संदेश मिले हैं। हालांकि कल्लूवेटिल को कभी भी इस तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी, लेकिन वे परिणामों से डरते नहीं हैं। वह कहते हैं कि उन्हें केरल सरकार और राज्य द्वारा प्रदान किए जाने वाले सुरक्षित वातावरण पर भरोसा है।
'मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं'
उन्होंने कहा कि मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैंने कुछ भी गलत नहीं पूछा और इसमें कोई साजिश भी नहीं है। इसमें पीएम और भाजपा के खिलाफ कुछ भी नहीं है। मैंने जानकारी मांगी है, जो अन्य लोगों की मदद कर सकती है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसे अपवाद के रूप में लिया कि उन्होंने पीएम की सूचना पर आरटीआई दायर की। फोन करने वालों में से कुछ ने उनसे यह भी पूछा कि उन्होंने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी या राहुल गांधी के खिलाफ आरटीआई की अर्जी दायर क्यों नहीं की।
दो बच्चों के पिता कल्लूवेटिल का कहना है कि यदि वह किसी भी भाजपा शासित राज्य, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में रहते थे, तो उनमें यह पूछने की हिम्मत नहीं थी। हालांकि, उनकी पत्नी चिंतित हैं क्योंकि उन्हें कई फोन कॉल आ रहे हैं। वह कहते हैं, “मेरी पत्नी परिवार की सुरक्षा के लिए डरी हुई हैं। हम ज्यादातर कॉल उठाते ही नहीं हैं।”
'भेदभावपूर्ण है सीएए'
अपने गृहनगर चलाकुडी में कारोबार कर रहे कल्लूवेटिल का मानना है कि यह कानून भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह मुस्लिमों को इसके दायरे से बाहर रखता है, जबकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के पांच धार्मिक अल्पसंख्यकों- सिखों, ईसाई, जैन, हिंदू, बौद्ध और पारसी को नागरिकता अधिकार प्रदान करता है। वे कहते हैं, “हम मुसलमानों को कानून से बाहर क्यों किया गया है? बूढ़े और गरीब अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे? सरकार को जनता के साथ उनकी चिंताओं पर चर्चा करनी चाहिए।
आरटीआई कल्लुवेटिल के लिए नई बात नहीं है। इससे पहले भी वह स्थानीय नगरपालिका में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए आरटीआई दायर कर चुका है। उन्होंने कहा कि शुरु में सूचना अधिकारी पीएम के दस्तावेजों पर मेरे आवेदन को स्वीकार करने में संकोच कर रहा था। आखिरकार, वह सहमत हो गए, क्योंकि वह आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़े हैं।
'पीएमओ भेज दिया है आवेदन'
कल्लूवेटिल का कहना है कि केरल ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर रोक का आदेश दिया है, जबकि नागरिकता कानून केंद्र सरकार के दायरे में है। कल्लूवेटिल जल्द ही प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) से प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहा है और वह सरकार की प्रतिक्रिया को सार्वजनिक करने की योजना बना रहा है। उन्हें चलकुडी नगरपालिका ने बताया है कि उनका आवेदन पीएमओ को भेज दिया गया है।
बता दें कि केरल सरकार नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मुकदमा दायर करने वाला पहला राज्य था और इससे पहले, राज्य विधानसभा ने कानून को भेदभावपूर्ण बताते हुए इसके खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था।