उन्होंने कहा, मेरे लिए अधिक विचलित करने वाली बात यह है कि वर्ष 2010 से वर्ष 2014 तक, जब आरटीई आया, उस दौरान शिक्षा के स्तर में स्पष्ट रूप से 25 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। सुब्रमण्यम ने केयर इंडिया द्वारा आयोजित, मेरी सुरक्षा, मेरी शिक्षा.. मेरा अधिकार: शिक्षा को सुरक्षित बनाना, विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बच्चों, खासकर लड़कियों को सुरक्षित शिक्षा मुहैया कराने संबंधी उभरते मुद्दों पर केंद्रित पैनल चर्चा में कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल प्रदान करने को लेकर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि यह विचार भारत में हमारे नीति निर्माताओं से आज मेल खाता है या नहीं। सीखना बच्चे के लिए उतना ही सहज है जितना कि खाना एवं सांस लेना। सुब्रमण्यम ने कहा, प्रणाली को केवल माहौल एवं एक शिक्षक मुहैया कराने की आवश्यकता है, बच्चा स्वत: सीख जाएगा लेकिन इसे बहुत जटिल प्रक्रिया में बदल दिया है।
उन्होंने लड़कियों की शिक्षा की महत्ता को रेखांकित करते हुए वर्ष 1975 में हार्वर्ड में आर्थिक विकास एवं जनसंख्या नियंत्रण का अध्ययन करने के दौरान हुए अपने अनुभव का जिक्र किया। सुब्रमण्यम ने कहा, 40 साल पहले जब मैं हार्वर्ड में था, उस समय भी उन्होंने हमें पढ़ाया था कि लड़कियों को शिक्षित बनाना देश में विकास एवं समृद्धि के लिए अहम है लेकिन हमें यह बात आज भी समझ नहीं आई है।
भाषा