विधानसभा चुनाव 2017 में भारतीय जनता पार्टी की भारी जीत के बाद कई पार्टीयों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर सवाल उठाए थे। इसी शंका को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने आज सुप्रीम कोर्ट में आज एक हलफनामा दायर किया है।
निर्वाचन आयोग ने आज सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधान सभा चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के साथ कागज की पर्ची देने वाले उपकरण (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने निर्वाचन आयोग का यह कथन स्वीकार करते हुये गुजरात विधान सभा चुनाव में इलेक्ट्रॉक वोटिंग मशीन के साथ मत की पुष्टि करने वाली वीवीपीएटी मशीनें लगाने के निर्देश के लिये दायर याचिका का निबटारा कर दिया।
पीठ के निर्वाचन आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह गुजरात चुनावों में वीवीपीएटी मशीनों का इस्तेमाल करेगा। हम इस कथन से संतुष्ट हैं। याचिका का निबटारा किया जाता है। इससे पहले आयोग के वकील ने आयोग के रूख से न्यायालय को अवगत कराया था।
वीवीपीएटी मशीन इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन से जुडी होती है और मतदान की पुष्टि के लिये कागज की पर्ची निकालती है ताकि वे इस बात की पुष्टि कर सकें कि उन्होंने सही तरीके से मत दिया है।
न्यायालय ने याचिकाकतार्ओं के अनुरोध पर चुनावों में वीवीपीएटी के इस्तेमाल से संबंधित दूसरे मामले कल सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किये हैं। पीठ ने कहा कि यदि सुनवाई का स्थगन बगैर किसी कारण के हुआ तो इसके परिणाम भी देखने होंगे। आप न्यायालय का समय बर्बाद नहीं कर सकते।
आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि वह गुजरात विधान सभा के आगामी चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के साथ कागज की पर्ची निकालने वाली मशीन (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल कर सकेगा यदि इसके निमार्ताओं से उसे सितंबर तक 73,500 मशीने मिल जाती हैं।
आयोग ने कहा कि उसे भारत इलेक्ट्रानिक्स लि और इलेक्ट्रानिक्स कार्पोरेशन आफ इंडिया लि से 31 अगस्त तक 48,000 वीवीपीएटी मशीनें मिलने की उम्मीद है जबकि शेष 25,500 मशीनों की सितंबर तक आपूर्ति होगी। आयोग ने एक बार फिर दावा किया कि हाल ही में लोकसभा और विधान सभा चुनावों में प्रयुक्त इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के साथ किसी प्रकार की छेडछाड़ नहीं की जा सकती।
कोर्ट आगामी चुनावों में ईवीएम के साथ वीवीपीएटी को शामिल करने के लिए कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इससे पहले मई में चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया था कि आगामी चुनावों का संचालन वीवीपीएटी और ईवीएम दोनों के इस्तेमाल से होगा। इसके साथ ही एक बयान जारी कर सभी राजनीतिक दलों को यह साबित करने का चैलेंज भी दिया था कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल समेत कई राजनीतिक दलों के नेता ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की शिकायत कर चुके हैं।
गौरतलब है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में वीवीपीएटी वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिए ही चुनाव होंगे। चुनाव के दौरान वीवीपीएटी से एक पर्ची निकलेगी जिसमें सीरियल नंबर, प्रत्याशी का नाम और उसका चुनाव चिन्ह अंकित होगा। हालांकि, यह पर्ची वोटर को नहीं दी जाएगी, लेकिन चुनाव आयोग इस पर्ची के तौर पर रिकार्ड को संभालकर रखेगा. जरूरत पड़ने पर पर्ची से वोट का मिलान किया जा सकता है. दरअसल, ईवीएम में गड़बड़ी के आरोपों के बाद अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव ईवीएम में नई वोट वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपेड) मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा.