प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीकानेर भूमि घोटाला मामले में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी (पी) लिमिटेड (अब एलएलपी) की 4.62 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच कर दी है।
प्रवर्तन निदेशालय ने रॉबर्ट वाड्रा से बुधवार को जयपुर में लगभग नौ घंटे पूछताछ की थी। राज्य के बीकानेर जिले में हुए कथित जमीन घोटाले के बारे में उनसे ये पूछताछ की गई थी। वाड्रा से मंगलवार को भी लगभग नौ घंटे पूछताछ हुई थी। वह अपनी मां मॉरीन वाड्रा के साथ जयपुर स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे थे लेकिन मौरीन को कुछ घंटे बाद कार्यालय से जाने की अनुमति दे दी गई थी।
बदले की भावना का लगाया था आरोप
इस पूछताछ के बाद वाड्रा ने फेसबुक पर पोस्ट लिखा था। इसमें उन्होंने अपनी मां मॉरीन वाड्रा को हुई परेशानियों का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा था कि समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार एक वरिष्ठ नागरिक के साथ बदले की भावना से क्यों काम कर रही है।
ईडी ने 2015 में सौदे के सिलसिले में आपराधिक मामला दर्ज किया था। बीकानेर के तहसीलदार ने इलाके में जमीन के आवंटन में कथित धोखाधड़ी के बारे में शिकायत की थी जिसके बाद राजस्थान पुलिस ने प्राथमिकी और आरोपपत्र दायर किए थे।
कोर्ट ने दिए थे आदेश
एजेंसी वाड्रा के खिलाफ कथित मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशों में अवैध तरीके से संपत्ति खरीदने में उनकी कथित भूमिका के मामले की जांच कर रही है। एजेंसी ने बीकानेर जमीन घोटाला मामले में वाड्रा को तीन बार सम्मन जारी किए लेकिन वह नहीं आए तो एजेंसी अदालत चली गयी। राजस्थान हाई कोर्ट ने वाड्रा और उनकी मां से कहा था कि वे एजेंसी को जांच में सहयोग करें। इसके बाद ही दोनों की पूछताछ में शामिल हुए।
ये है मामला
वाड्रा ने 2007 में स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी बनाई। वाड्रा और उनकी मां मौरिन कंपनी की डायरेक्टर बनीं। बाद में कंपनी का नाम स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड लायबिलिटी कर दिया गया। रजिस्ट्रेशन के वक्त बताया गया था कि ये कंपनी रेस्टोरेंट, बार और कैंटीन चलाने जैसे काम करेगी। वहीं वाड्रा की कंपनी ने 2012 में कोलायत क्षेत्र में 270 बीघा जमीन 79 लाख रुपए में खरीदी।
आरोप है कि यह बीकानेर में भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज की जमीन थी। इस जमीन के कुछ भाग पर विस्थापित लोगों को बसाया गया था, लेकिन उनमें से कुछ ने फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर जमीन वाड्रा की कंपनी को बेच दी, जबकि सेना की जमीन बेची नहीं जा सकती। बाद में वाड्रा की कंपनी ने यह जमीन पांच करोड़ रुपए में बेची। ईडी ने इस मामले में कुछ स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी है।