एयरसेल-मैक्सिस मामले में शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम से पूछताछ की। मामले में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति पर आरोप हैं और दोनों आठ अक्टूबर तक अंतरिम जमानत पर हैं।
एयरसेल-मैक्सिस मामला वर्ष 2006 में ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेस लिमिटेड को एयरसेल में निवेश करने के लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी दिलाए जाने से जुड़ा है। मामले की सीबीआई और ईडी इस बात की जांच कर रहे हैं कि कैसे 2006 में उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस करार करवाने में एफआईपीबी की मंजूरी हासिल की।
नियमों की अनदेखी का आरोप
चिदंबरम पर एफडीआईबी के लिए नियमों की अनदेखी कर एयरसेल-मैक्सिस कंपनी को लाभ पहुंचाने का आरोप है। जांच एजेंसी ने इससे पहले इस सौदे के बारे में एफआईपीबी के अधिकारियों का बयान दर्ज किया था। समझा जाता है कि चिदंबरम का उन सभी से आमना-सामना कराया जाएगा। चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से इस मामले में ईडी दो बार पूछताछ कर चुकी है।
क्या है एयरसेल मैक्सिस मामला
यह मामला फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआईपीबी) से जुड़ा है। 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील को पी चिदंबरम ने बतौर वित्त मंत्री मंजूरी दी थी। पी चिदंबरम पर आरोप है कि उनके पास 600 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट प्रपोजल्स को ही मंजूरी देने का अधिकार था। इससे बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए उन्हें आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी लेनी जरूरी थी। एयरसेल-मैक्सिस डील मामला 3500 करोड़ की एफडीआईबी की मंजूरी का था। इसके बावजूद एयरसेल-मैक्सिस एफडीआईबी मामले में चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स की मंजूरी के बिना मंजूरी दी।