जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के बाद अब भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के छात्रों ने भी फीस बढ़ोतरी को लेकर आंदोलन शुरु कर दिया है। मंगलवार को छात्रों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि फीस के कारण कुछ को कोर्स बीच में ही छोड़ना पड़ता है। बावजूद इसके प्रशासन ने उनके मुद्दों पर "आंख मूंद" ली है।
आईआईएमसी में अंग्रेजी पत्रकारिता की छात्रा आस्था सव्यसाची ने कहा कि हॉस्टल और मेस के अलावा दस महीने के पाठ्यक्रम के लिए 1,68,500 रुपये फीस गरीब और मध्यम वर्ग के छात्रों के लिए अनुचित हैं। उन्होंने कहा कि पहले सेमेस्टर के बाद छात्रों को कोर्स छोड़ना पड़ता है।
'हॉस्टल में नहीं मिलती जगह'
रेडियो और टीवी जर्नलिज्म में एक कोर्स के लिए 1,68,500 रुपये, विज्ञापन और पीआर के लिए 1,31,500 रुपये, हिंदी और अंग्रेजी पत्रकारिता कोर्स के लिए 95,500 रुपये और उर्दू पत्रकारिता के लिए 55,500 रुपये फीस है। छात्रों ने कहा कि हॉस्टल और मेस का शुल्क महिलाओं के लिए करीब 6,500 रुपये प्रति माह और पुरुषों के लिए 4,800 रुपये है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक छात्र को हॉस्टल में रहने की जगह नहीं मिलती है।
'प्रशासन ने मुद्दों से मूंद ली आंखें'
आईआईएमसी में रेडियो और टीवी जर्नलिज्म के छात्र ऋषिकेश ने कहा, ‘हम मीडिया संस्थानों को केवल उन लोगों तक ही पहुंचने की अनुमति नहीं दे सकते जो लाखों का भुगतान कर सकते हैं। शिक्षा, आखिरकार, एक अधिकार है , न कि और विशेषाधिकार है।‘
उन्होंने कहा, ‘पिछले एक सप्ताह से, हम बातचीत के माध्यम से मुद्दों का निवारण करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने हमारे मुद्दों पर यह कहते हुए आंख मूंद ली है कि फीस में बदलाव करना उनके हाथ में नहीं है। अब विरोध ही एकमात्र विकल्प है।‘ जेएनयू में हॉस्टल फीस बढ़ोतरी को लेकर पिछले चार सप्ताह से हड़ताल चल रही है।