मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने पिछले दिनों शहीद हेमंत करकरे पर विवादित टिप्पणी की। हालांकि बाद में प्रज्ञा ठाकुर ने अपना बयान वापस ले लिया और भाजपा को इससे किनारा करना पड़ा। अब आठ रिटायर्ड डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) ने प्रज्ञा ठाकुर के इस बयान की निंदा की है। इनमें पंजाब के डीजीपी (रिटा.) जूलियो रिबेरो और यूपी, असम और बीएसएफ के डीजीपी (रिटा.) प्रकाश सिंह शामिल हैं।
इन वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रज्ञा ठाकुर के बयान की निंदा करते हुए कहा कि हेमंत करकरे आज जिंदा होते अगर उन्होंने महाराष्ट्र एटीएस में वापस लौटने की इच्छा ना जताई होती। उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों की जांच करने का बीड़ा उठाया ताकि बाकी के लोग सुकून से सो सकें।
‘पुलिसकर्मियों के बलिदान को पहचानने की जरूरत’
अधिकारियों ने संयुक्त बयान में कहा कि प्रज्ञा ठाकुर के इस खेदजनक बयान के बाद जरूरी है कि आजादी के बाद भारत के सभी कोनों से 35,000 पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान को सार्वजनिक रूप से पहचाना जाए, जिन्होंने कर्तव्य के लिए अपनी जान दे दी। सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों, कम संसाधनों और चौबीस घंटे काम करने वाले इन बहादुर पुरुषों और महिलाओं ने कर्तव्य से पीछे हटना जरूरी नहीं समझा।
‘प्रत्येक वर्ष एक पुलिस स्टेशन को लिया जाए गोद’
साथ ही अधिकारियों ने कहा कि देश भर के पूर्व डीजीपी के रूप में हम इन लोकसभा चुनावों में सभी उम्मीदवारों से आग्रह करते हैं कि वे इन शहीदों के परिवारों की तलाश करें और उनका सम्मान करें जो अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रहते हैं। हम उन्हें पुलिस सेवाओं में सुधार करने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह करते हैं। ऐसा करने का एक तरीका यह होगा कि प्रत्येक वर्ष एक पुलिस स्टेशन को गोद लिया जाए और MPLAD के तहत योजनाएं बनाई जाएं, जो कि थाना स्टाफ और उनके परिवारों के लिए आवश्यक सुविधाओं को सुनिश्चित करते हुए इसे एक मॉडल पुलिस स्टेशन बनाएगा। यह हेमंत करकरे और हजारों अन्य बहादुर पुलिसकर्मियों द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदानों के लिए एक वास्तविक और सार्थक श्रद्धांजलि होगी।
यह अपील करने वालों में जूलियो रिबेरो, प्रकाश सिंह के अलावा डीजीपी केरल (रिटा) पीकेएस ठाकरण, डीजीपी नेशनल पुलिस एकेडमी हैदराबाद (रिटा) कमल कुमार, डीजीपी केरल (रिटा) जैकब पनूसे, डीजीपी महाराष्ट्र (रिटा) संजीव दयाल, डीजीपी असम और एनएसजी (रिटा) जयंतो एन चौधरी, डीजीपी मेघालय (रिटा) एन रामचंद्रन के नाम शामिल हैं।