किसानों का आंदोलन 31वें दिन भी जारी है और वे सर्द मौसम में डटे हुए हैं। सरकार लगातार किसानों को समझाने बुझाने का प्रयास कर रही है लेकिन अब तक किसान सरकार की बात मानने के बजाए कृषि कानूनों को खत्म करने पर अड़े हैं। शनिवार को किसान संगठनों ने 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे सरकार से अगले दौर की बातचीत का प्रस्ताव दिया है, हालांकि, बातचीत को लेकर किसान संगठनों ने सरकार के सामने चार शर्तें भी रखी हैं। साथ ही किसानों ने कहा कि सरकार किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।
किसानों का कहना है कि पहले सरकार तीनों नए कृषि कानून रद्द करे। दूसरे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी दी जाए। तीसरे बिजली बिल ड्राफ्ट में बदलाव की मांग है और चौथे पराली कानून से किसनों को बाहर रखा जाए। कृषि कानूनों के प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया।
क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को जान से मारने की धमकी मिली है। राकेश टिकैत के मुताबिक बिहार से फोन आया था जिसमें कहा गया हथियारों की जरूरत है क्या। बताओ कितने हथियार भिजवाने है। तुम्हें मारने का प्लान है। कॉल रिकॉर्डिंग पुलिस को भेज दी है।
बता दें कि 23 दिसम्बर को किसान संगठनों ने सरकार की ओर से पहले भेजे गए बातचीत के प्रस्ताव को ये कहते हुए ठुकरा दिया कि सरकार की ओर से कुछ ठोस प्रस्ताव आने के बाद ही बातचीत करने पर विचार किया जाएगा। इसके बाद 24 दिसंबर को सरकार ने किसान संगठनों को फिर से बातचीत का निमंत्रण दिया। किसान संगठनों को भेजे गए पत्र में सरकार ने उनसे बातचीत की तारीख और समय बताने को कहा था।