तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन गुरुवार को दिल्ली की सीमाओं पर लगातार 58वें दिन जारी है। अब सभी की निगाहें 26 जनवरी पर है, जिस दिन किसानों ट्रैक्टर रैली निकालने की बात कही है। इसी मसले पर गुरुवार को दिल्ली पुलिस और किसानों की बैठक हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला। अब किसान संगठनों ने सरकार का प्रस्ताव फिर से खारिज कर दिया है।
सयुंक्त किसान मोर्चा की आमसभा में तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात किसान आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गई है। मोर्चा ने कहा कि हमारी मांग है कि कानून पूरी तरह से रद्द ही हों. हमारा बलिदान व्यर्थ नहीं जायेगा। किसान मोर्चा इस आंदोलन में अब तक शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धाजंलि अर्पित करता है।
इससे पहले गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली को लेकर चल रही दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच की बैठक हुई। किसानों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें दिल्ली में घुसने से इनकार किया है, जबकि किसान दिल्ली में रैली निकालना चाहते हैं। पुलिस की ओर से केएमपी एक्सप्रेस वे पर छोटी रैली निकालने का विकल्प दिया गया, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया।
मोर्चा ने कहा कि शांतिपूर्ण चल रहा यह आंदोलन अब देशव्यापी हो चुका है। कर्नाटक में अनेक स्थानों पर वाहन रैलियों के माध्यम से किसान गणतंत्र दिवस के लिए एकजुट हो रहे है। केरल में कई जगहों पर किसान ट्रेक्टर मार्च निकाल रहे है। उत्तराखन्ड के बिलासपुर व रामपुर समेत अन्य जगहों पर किसान ट्रेक्टर मार्च कर दिल्ली की किसान परेड की तैयारी कर रहे है। छत्तीसगढ़ में किसान 23 जनवरी को राजभवन का घेराव करेंगे और एक जत्था दिल्ली की तरफ भी रवाना होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि नवनिर्माण किसान संगठन की किसान दिल्ली चलो यात्रा, जो कि ओडिशा से चली थी, को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा बार बार परेशान किया जा रहा है। उनके रुट बदलने से लेकर बैठके न करने के निर्देश दिए जा रहे है। हम प्रशासन के इस बर्ताव का विरोध करते है।
कोलकाता में 3 दिन का विशाल महापड़ाव 20 जनवरी से 22 जनवरी तक होगा। कल हुए विशाल कार्यक्रम में हज़ारो लोगो ने भाग लिया। आने वाले समय मे ओर भी तेज होने की संभावना है। मजदूर किसान शक्ति संगठन के नेतृत्व में किसान, मजदूर व आम लोग शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंच रहे है। कठपुतली और गीतों के माध्यम से नव उदारवादी नीतियों का विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
बुधवार को किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की बैठक हुई थी। इस बैठक में केंद्र सरकार ने आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के सामने नया प्रस्ताव रखते हुए कहा कि वह कृषि कानूनों को एक-डेढ़ साल तक स्थगित करने के लिए तैयार है। इस दौरान सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एक कमिटी इन कानूनों पर विस्तार से चर्चा कर समाधान का रास्ता निकालेगी।