महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को लेकर ओडिशा में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। 15 से 23 अगस्त के बीच आयोजित कार्यक्रमों में नई दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुमार प्रशांत भी शामिल हुए। इस दौरान इतिहास पर उनके भाषणों को लेकर आरएसएस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने एफआईआर दर्ज कराई है। उन पर आरोप लगाया गया है कि वे कश्मीर के संदर्भ में राष्ट्रविरोधी बातें कर रहे हैं। कुमार प्रशांत को गिरफ्तार करने की भी मांग की गई है।
यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा: कुमार प्रशांत
इस पूरे मामले में कुमार प्रशांत ने कहा कि देश में पिछले दिनों से ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि नागरिकों के बीच विचार-विमर्श बंद-सा हुआ है। संख्या या भीड़ के जोर से दूसरों को चुप कराना और सरकारी तंत्र की मदद से अपनी और सिर्फ अपनी बात का शोर मचाना लोकतंत्र का गला घोंटने के समान है। लोकतंत्र का मतलब ही है असमहमतियों के बीच स्वस्थ संवाद, लेकिन ऐसी असहमतियों के प्रति शासक दल और उससे जुड़े हिंदुत्व संगठनों में गहरी असहिष्णुता है।
'डराने या चुप कराने की कोशिशें व्यर्थ'
उन्होंने कहा कि सहृदयता के साथ सत्य पर टिके रहना गांधी के सिपाही की बुनियाद है। गालियों, निजी आरोपों, पुलिस-अदालत की धमकियों, यहां-वहां एफआईआर से डराने या चुप कराने की बचकानी कोशिशें व्यर्थ हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कोशिशों के बजाय आप मेरी बातों को, मेरे तथ्यों को बेबुनियाद साबित करें।