उज्जैन जिले के नागदा में एक सरकारी कॉलेज में शनिवार को डॉक्टर भीम राव अंबेडकर पर आयोजित एक सेमिनार में गहलोत ने कहा, आप हमसे (दलितों से) कुआं खुदवा लेते हैं, लेकिन हमें पानी पीने से आप रोकते हैं... हम मूर्तियां बनाते हैं, लेकिन मंदिर के दरवाजे हमारे लिए बंद कर दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा, कुंआ हमेशा हमसे (दलितों से) खुदवा लेते हो, वो जब आपका हो जाता है तो पानी पीने से रोकते हो, तालाब बनाना हो तो मजदूरी हमसे (दलितों से) करवाते हो, उस समय हम उसमें पसीना भी गिराते हैं, थकते हैं, लघुशंका (पेशाब) आती है तो दूर नहीं जाते वहीं करते हैं. परंतु जब उसका पानी पीने का अवसर मिलता है तो फिर कहते हो कि दूषित हो जाएगा।
गहलोत ने आगे कहा, आप मंदिर में जाकर मंत्रोच्चारण करते हो, उसके बाद वे दरवाजे हमारे लिए बंद हो जाते हैं। उन्होंने सवाल किया, आखिर कौन ठीक करेगा इसे। गहलोत ने कहा, मूर्ति हमने बनायी, भले ही आपने पारिश्रमिक दिया होगा, पर दर्शन तो हमें कर लेने दो, हाथ तो लगा लेने दो।
हालांकि, जाति के आधार पर भेदभाव किसी भी तरह के समाज के लिए कलंक है। भारत, जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव का साक्षी रहा है, लेकिन बदलते वक्त के साथ इस तरह की रूढिवादी सोच में बदलाव भी देखने को मिला है।
गौरतलब है कि 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती है और उसके कुछ ही दिन पहले गहलोत ने जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव पर यह कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
थावरचंद गहलोत मध्यप्रदेश के शाजापुर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में वह मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गये हैं तथा खुद भी अनुसूचित जाति के हैं।
उज्जैन के रूपेता गांव में जन्म लेने वाले गहलोत तीन बार मध्यप्रदेश विधानसभा में भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह वर्ष 1990-92 के दौरान मध्यप्रदेश की कैबिनेट में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।
इस बीच, मध्यप्रदेश के महू स्थित डॉ. बी आर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सी. डी. नायक ने पीटीआई-भाषा को बताया, जो केन्द्रीय मंत्री गहलोत ने कहा है वह विडम्बना होने के साथ-साथ सत्य भी है। जब तक हम लोगों की सोच को नहीं बदलेंगे, तब तक जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव से 600 साल तक भी मुक्ति नहीं मिलेगी। अंबेडकर का जन्म इंदौर के पास महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था।
अंबेडकर के विचार एवं दर्शन के प्रोफेसर नायक ने कहा, जो भी गहलोत ने कहा है वह सत्य है। ऐसा होता रहता है और गहलोत द्वारा ऐसे विचार व्यक्त करने से उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह मंत्री होने के बाद भी समाज में चल रही इस सामाजिक बुराई को खत्म करने में असमर्थ हैं।
उन्होंने कहा, समाज में बदलाव लाने के लिए लोगों की सोच में बदलाव लाना अत्यंत आवश्यक है।
नायक ने वोट बैंक की राजनीति के लिए राजनीतिक दलों द्वारा इस जातिवादी प्रथा को बढ़ावा देने के लिए दोषी ठहराया है।
उन्होंने कहा, हमने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिना जात-पात के एक साथ लड़ाई लड़ी थी। अब हम इस जाति प्रथा का अंत करने के लिए अपने लोगों के खिलाफ भी नहीं लड़ पा रहे हैं।
भाषा