सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एनआरसी को-ऑर्डिनेटर को उन लोगों की निष्पक्ष सुनवाई करने के लिए कहा है जिन्होंने असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में अपने नाम को शामिल न करने को चुनौती दी है। साथ ही कोर्ट ने पूरी प्रक्रिया 31 जुलाई तक पूरा करने का आदेश दिया है।
इससे पहले 8 मई को एनआरसी की प्रकिया को पूरा करने की समय सीमा को बढ़ाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था और एनआरसी के काम को टालने का अनुरोध करते हुए दायर की गई याचिका को लेकर केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय की आलोचना की थी।
31 जुलाई तक पूरी हो प्रक्रिया
कोर्ट ने कहा था कि घोषित प्रक्रिया को 31 जुलाई के पूर्व ही पूरा कर लिया जाना चाहिए। साथ ही अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया था कि पूरी प्रक्रिया में एक दिन की भी देरी नहीं की जा सकती है। वहीं, शीर्ष अदालत ने आपत्ति करने वालों के उपस्थित नहीं होने की स्थिति में को-ऑर्डिनेटर को कानून के मुताबिक प्रक्रिया आगे बढ़ाने की अनुमति दी थी।
नहीं मिल पाई थी ड्राफ्ट में जगह
30 जुलाई 2018 को असम में एनआरसी का अंतिम ड्रॉफ्ट जारी कर दिया गया था। इसमें शामिल होने के लिए असम में 3 करोड़ 29 लाख लोगों ने आवेदन किया था जिसमें से 40 लाख 7 हजार लोगों को ड्रॉफ्ट में जगह नहीं मिल पाई थी। इसके बाद ही एनआरसी को लेकर पूरे देश में हंगामा मच गया था। एनआरसी में शामिल लोगों को भारतीय नागरिक माना जाता है और जो इसमें शामिल नहीं हैं उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है।