ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी विधेयक राज्यसभा द्वारा किए गए संशोधन के स्थान पर लगाए गए वैकल्पिक संशोधनों के साथ लोकसभा में पेश किया गया। इस दौरान सत्तारुढ़ भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।
सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने बुधवार को संविधान (123वां) संशोधन विधेयक में लाए गए वैकल्पिक संशोधनों को विचारार्थ और पारित के लिए पेश किया। चर्चा के दौरान जब तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी कहा, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की दिशा में उठाये गए कदम का श्रेय सरकार को नहीं जाता है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के कारण यह संभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि विधेयक में यह प्रावधान किया गया कि आयोग की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी। पहले विधेयक में राज्यपाल का उल्लेख किया गया था, लेकिन अब इसके स्थान पर राज्य सरकार शब्द जोड़ दिया गया।
बनर्जी पश्चिम बंगाल में पिछडे समुदायों के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख कर रहे थे तो केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कल्याण बनर्जी पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया। इस पर तृणमूल और भाजपा सदस्यों के बीच नोकझोंक के हालात पैदा हो गए। इससे पहले, महाराष्ट्र में हिंसा के मामले पर कांग्रेस, राकांपा और माकपा के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सदन में आकर जवाब देना चाहिए। इसके बाद इन विपक्षी पार्टियों के सदस्य सदन से बाहर चले गए। आज सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होने पर महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव युद्ध की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम के बाद राज्य में भडकी हिंसा को उकसावे का परिणाम बताते हुए कांग्रेस ने लोकसभा में आज इस घटना के लिए हिंदूवादी संगठनों और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया, वहीं सरकार ने इस मुद्दे पर विपक्षी दल पर हिंसा की आग को बुझाने के बजाय उसे भड़काने का आरोप लगाया।