हाथरस कांड में मारे गए पीड़ितों के परिवार स्वयंभू बाबा 'भोले बाबा' की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वह 'दोषी' है। 2 जुलाई को हाथरस में "भोले बाबा" के "सत्संग" (सभा) के दौरान मची भगदड़ में कम से कम 121 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। हाथरस त्रासदी के बाद "भोले बाबा" उर्फ सूरजपाल ने पहले बयान में लोगों की मौत पर दुख जताया। उन्होंने भगदड़ के पीछे "असामाजिक" तत्वों का हाथ बताते हुए दोष मढ़ दिया।
कई रिपोर्टों में पीड़ितों के परिवारों ने कहा है कि प्रशासन द्वारा "भोले बाबा" पर सख्ती किए जाने के बाद ही उन्हें त्रासदी के चार दिन बाद बयान जारी करने के लिए "मजबूर" होना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत "भोले बाबा" अपने मणिपुरी निवास पर "आराम" कर रहे थे। कई आउटलेट्स द्वारा उद्धृत पीड़ितों के परिवार "भोले बाबा" के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रहे हैं।
2 जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक 'सत्संग' (धार्मिक आयोजन) में मची भगदड़ में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 121 लोगों की मौत हो गई। कथित तौर पर सत्संग का आयोजन मानव मंगल मिलन द्वारा किया गया था। सद्भावना समागम समिति ने स्वयंभू संत नारायण साकार हरि, जिन्हें साकार विश्व हरि या "भोले बाबा" के नाम से भी जाना जाता है, के लिए एक अभियान चलाया। पुलिस "भोले बाबा" की तलाश में थी, जो भगदड़ की घटना के बाद से नहीं मिले थे। भोले बाबा, जिनका असली नाम सूरज पाल सिंह है, के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।