हिन्दी साहित्य जगत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर विनोद कुमार शुक्ल को पेन अमेरिका द्वारा उनके साहित्यिक योगदान के लिए नाबोकोव पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। नाटककार एरिका डिकर्सन-डेस्पेंज़ा को भी यह पुरस्कार देने की घोषणा हुई है। इस खबर के बाद हिन्दी साहित्य से जुड़े हुए तमाम लोगों ने खुशी जाहिर की है।
सभी ने इस पल को गौरवपूर्ण अवसर बताया है। विनोद कुमार शुक्ल को हिन्दी साहित्य के बड़े कवियों और लेखकों में शुमार किया जाता है। विख्यात आलोचक नामवर सिंह के दृष्टिकोण से विनोद कुमार शुक्ल मौजूदा समय के सबसे उत्कृष्ट कवि और कहानीकार हैं।
विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास "नौकर की कमीज", "दीवार में एक खिड़की रहती थी" को हिन्दी साहित्य के प्रेमियों ने खूब प्यार दिया। विनोद कुमार शुक्ल के इन उपन्यासों पर सिनेमा भी बनाया गया है। फिलहाल जीवन के आठवें दशक में विनोद कुमार शुक्ल बाल साहित्य रचने में व्यस्त हैं और उनकी सृजन शक्ति देखने लायक है।