देश और दुनिया के इतिहास में वैसे तो कई महत्वपूर्ण घटनाएं 23 मार्च की तारीख पर दर्ज हैं....लेकिन भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज इस दिन की सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वर्ष 1931 में क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को फांसी दी गई थी।
बता दें कि अंग्रेजों ने भारत देश पर करीब दो सौ सालों तक शासन किया। देश में शासन के दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने देशवासियों पर अत्याचार, आतंक और आघात पहुंचाया। तब भारत मां के वीर सपूतों ने भारत माता को ब्रिटिश सरकार की जंजीरों से बचाने के लिए और देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए।
बता दें कि साल में 2 बार शहीद दिवस मनाया जाता है। एक शहीद दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है। 30 जनवरी को नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। वहीं 23 मार्च को दूसरा शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत के वीर सपूत शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ गए थे।
भगत सिंह अपने साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ अपने साहसिक कारनामों से देश के युवाओं के लिए प्रेरणा और आदर्श बन गए थे। उन्होंने 08 अप्रैल 1929 को इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगाते हुए भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली पर बम फेंके। लेकिन बम फेंकने के बाद वह मौके से भागे वहीं और उनको गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर हत्या का आरोप लगाया गया। जिसके बाद सजा के तौर पर 23 मार्च 1921 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दे दी गई।
स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान का जश्न मनाने और शहीदों की याद दिलाने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है। वह शहीद जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए लड़ाई लड़ी और आजादी हासिल करने में अहम भूमिका निभाई। इस दिन कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।