कोवाक्सिन के क्लीनिकल ट्रायल अभी चल रहा है और उसकी सुरक्षा तथा असर को लेकर अभी परीक्षण बाकी है। बावजूद इसके दवा नियामक, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने वैक्सीन को आम जनता को देने की अनुमति दी है। हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञों ने कोवाक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल मे हिस्सा लेने वाले स्वयंसेवकों को सलाह दी है कि तीन महीने तक सेक्स करने से पहले कंडोम का इस्तेमाल जरूर करें।
पुरुष स्वयंसेवकों के लिए जरूरी है कि वैक्सीनेशन के तीन महीने बाद तक महिला साथी के साथ प्रभावी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या गर्भनिरोधक का उपयोग करने की सावधानी उन सभी लोगों के लिए नहीं होनी चाहिएजो मौजूदा सरकारी टीकाकरण अभियान में हिस्सा ले रहे हैं।
सरकार ने गर्भवती और स्तनपान कराने वाली मां के टीकाकरण पर रोक लगा दी है, लेकिन टीकाकरण के बाद संभोग पर सावधानी के बारे में कुछ नहीं कहा है।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के बाद सेक्स के लिए कंडोम का उपयोग करने के लिए स्थिति खुद ही स्पष्ट है जो भ्रूण या प्रजनन क्षमता पर विपरीत असर डाल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि टीका लगाने वाले लाभार्थियों को सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए वैक्सीनेशन के 3-12 महीने बाद भागीदारों के साथ सीधे सेक्स से बचने चाहिए
प्रसिद्ध सेक्सोलॉजिस्ट डॉ प्रकाश कोठारी कहते हैं, “हम किसी वैक्सीन के टेराटोजेनिक प्रभाव (असामान्य भ्रूण विकास) को नहीं जानते हैं क्योंकि इसकी जाँच करना जल्दबाजी होगी। हालांकि, अगर ऐसी स्थिति ट्रायल के स्वयंसेवकों पर लगाई गई है, तो यह इंगित करता है कि यह संभावना हो सकती है। वैक्सीन प्रजनन पर कितना असर डाल सकती है, इसकी जांच किए बिना ही टीके को मंजूरी दे दी गई।
डॉ कोठारी का कहना है कि अतीत में ऐसी घटनाएं हुई हैं जहाँ नई दवाओं से नवजात शिशुओं में विकृति आई है और बाद में ऐसी दवाओं को वापस ले लिया गया। वह कहते हैं, "इसलिए मेरा सुझाव है कि सभी जनसंख्या जो प्रजनन क्षमता के आयु वर्ग में है, उन्हें सलाह दी जानी चाहिए और एक वर्ष के लिए गर्भनिरोधक का उपयोग करने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।"
डॉ पुनीत बेदी (प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ) दोनों टीकों के क्लीनिकल ट्रायल की आम लोगों पर आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी देना अपरिपक्व और पूरी तरह से अवैज्ञानिक है।
उन्होंने कहा, '' वैक्सीन पहुंचाना पूरी तरह से एक राजनीतिक एजेंडा है और इसका स्वास्थ्य देखभाल प्रबंधन से कोई लेना-देना नहीं है। चूंकि टीके अभी भी चल रहे टीकाकरण अभियान में प्रायोगिक स्तर पर हैं, इसलिए मुझे लगता है कि सभी लाभार्थियों पर प्रभावी गर्भनिरोधक सुनिश्चित करने के लिए कंडोम का उपयोग करना जरूरी है।”
कई स्वयंसेवकों आउटलुक से कहा कि वे इन स्थितियों से पूरी तरह से अनजान हैं क्योंकि प्रमुख जांचकर्ता उन्हें प्रतिकूल और गंभीर दुष्प्रभावों के बारे में सूचित करते हैं, लेकिन कभी भी यौन संबंध बनाते समय ऐसी सावधानियों के बारे में उन्हें शिक्षित नहीं करते हैं। उनमें से अधिकांश यह भी स्वीकार करते हैं कि उन्होंने पूरी तरह से जाने बिना सहमति पर हस्ताक्षर किए।