प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर कहा कि वैक्सीन कब आएगी, इसका समय हम तय नहीं कर सकते हैं बल्कि ये वैज्ञानिकों के हाथ में है। कुछ लोग इस मसले पर राजनीति कर रहे हैं, लेकिन किसी को राजनीति करने से नहीं रोका जा सकता है। उन्होंने मंगलवार को को आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में ये बात कही।
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक लगातार वैक्सीन को लेकर काम कर रहे हैं लेकिन हम वैक्सीन आने का समय तय नहीं कर सकते। वैक्सीन का आना हमारे हाथ में नहीं है और हमें नहीं पता कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार वैक्सीन डेवलप्मेंट को ट्रैक कर रही है। हम भारतीय वैक्सीन डेवलपर्स और निर्माताओं के संपर्क में हैं।
उन्होंने कहा कि यह अभी तय नहीं हुआ है कि किस वैक्सीन का मूल्य कितना रखा जाएगा, कितनी डोज दी जाएगी। हालांकि, भारत में बनाए जा रहे दो टीके इस रेस में सबसे आगे हैं, हम वैश्विक कंपनियों के साथ भी काम कर रहे हैं।
पीएम ने कहा, ''हमारे लिए सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण है, जितनी भी वैक्सीन अपने नागरिकों को दी जाएंगी वह सभी वैज्ञानिक मानकों पर सुरक्षित होंगी। राज्यों के साथ सामूहिक समन्वय के साथ वैक्सीन वितरण की रणनीति तैयार की जाएगी। राज्यों को भी कोल्ड स्टोरेज की सुविधा शुरू करनी चाहिए।'
पीएम ने कहा कि प्रत्येक नागरिक के लिए कोरोना वायरस का टीकाकरण एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता की तरह है। प्रत्येक राज्य और हितधारक को यह सुनिश्चित करने के लिए एक टीम के रूप में काम करना होगा क्योंकि यह मिशन के तौर पर व्यवस्थित, सुचारू और निरंतर प्रयास है। वैक्सीन के आखिरी चरण में, कोरोना से लड़ाई ढीली नहीं पड़नी चाहिए।
पीएम ने कहा कि कोरोना से ठीक हुए लोगों की बेहतर स्थिति को देखकर कई लोग सोचते हैं कि वायरस कमजोर है और वे जल्द ही ठीक हो जाएंगे, इससे बड़ी लापरवाही हो सकती है। वैक्सीन पर काम करने वाले अपना काम कर रहे हैं, लेकिन हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि यदि लोग सतर्क रहें तो वायरल के फैलने पर अंकुश लग सकता है। हमें पॉजिविजिटी रेट 5 प्रतिशत लाना होगा। उन्होंने कहा कि जहां तक कोरोना से ठीक होने की बात आती है सभी के संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप आज भारत अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है।
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि अगर आपके पास कुछ और सुझाव हैं तो लिखित में हमें दे दें। उन्होंने कहा कि देश में टेस्टिंग का नेटवर्क काम कर रहा है, मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई का काम चल रहा है।