प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंग सान सू ची की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की नई सरकार से किए जा रहे पहले शीर्ष-स्तरीय संवाद के दौरान म्यांमार के राष्ट्रपति यू तिन क्याव से गहन वार्ता की और म्यांमार की आंतरिक शांति प्रक्रिया के प्रति भारत का पूरा समर्थन जाहिर किया। दोनों देशों ने संपर्क, औषधि एवं अक्षय उर्जा के अलावा कृषि, बैंकिंग और बिजली सहित कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए चार सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर किए।
मीडिया के लिए जारी बयान को पढ़ते हुए मोदी ने बाद में कहा कि दोनों पक्षों ने माना है कि एक-दूसरे के सुरक्षा हित करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं और दोनों देश क्षेत्र में आतंकवादी एवं उग्रवादी गतिविधियों से मुकाबले के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए। क्याव की मौजूदगी में मोदी ने कहा, हमने माना कि हमारे सुरक्षा हित करीबी तौर पर जुड़े हुए हैं। म्यांमार के राष्टपति ने कहा कि उनकी सरकार भारत से अपने संबंधों को मजबूत बनाना चाहती है।
भारत के सामरिक पड़ोसियों में से एक माने जाने वाला म्यांमार उग्रवाद प्रभावित नगालैंड और मणिपुर सहित कई पूर्वोत्तर राज्यों से करीब 1,640 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। म्यांमार में पूर्वोत्तर के कई उग्रवादी संगठनों की मौजूदगी का मुद्दा भारत अपने इस पड़ोसी के सामने उठाता रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज जिन समझौते पर दस्तखत किए गए उनसे 69 पुलों और भारत-म्यांमा-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना के कलेवा-यारगी खंड का निर्माण एवं विकास हो सकेगा। म्यांमार के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद क्याव की यह पहली विदेश यात्रा है। भारत सरकार ने दो अरब डॉलर की विकास सहायता म्यांमार को दे रखी है।