भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में सैनिकों को जल्द और पूरी तरह से हटाने पर सहमत हो गए हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ढाई महीने से जारी तनाव खत्म करने के लिए शुक्रवार को भारत-चीन की सीमा मामलों पर बनी सलाह व समन्वय समिति (डब्ल्यूएमसीसी) की वर्चुअल बैठक में दोनों पक्षों ने माना कि विवाद खत्म करने के लिए एलएसी से सैनिकों को पूरी तरह से जल्द पीछे हटाना जरूरी है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया, बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा पर स्थिति की समीक्षा की। दोनों पक्षों ने माना कि शीर्ष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुसार शांति कायम करने और अप्रैल जैसी स्थिति बहाल करने के लिए सेनाओं का पीछे हटाना बहुत जरूरी है। मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्ष आगे की रणनीति तय करने और तेजी से सेना की वापसी सुनिश्चित करने के लिए जल्द ही सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता पर सहमत हुए हैं।
दोनों देशों की यह बैठक ऐसे समय हुई जब इस तरह की खबरें आ रही थी कि पीछे हटने की प्रक्रिया आगे की ओर नहीं बढ़ पा रही है, जैसा कि 14 जुलाई की कोर कमांडर स्तर की पिछले दौर की वार्ता के बाद उम्मीद की जा रही थी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार की बैठक के बाद दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि त्वरित ढंग से पूरी तरह से पीछे हटने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए आगे के कदम तय करने के वास्ते वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की एक और बैठक हो सकती है।
दरअसल, हाल ही में कुछ रिपोर्ट आईं थीं कि चीन फिंगर-4 से फिंगर-8, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा जैसे कुछ इलाकों से सेना हटाने में आनाकानी कर रहा है। वहीं, 14 जुलाई को हुई कूटनीतिक बैठक के बाद चीनी सेना के पीछे हटने की प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुइै।
मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘इन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकाल के अनुरूप वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों का पूरी तरह से पीछे हटना और भारत चीन सीमा पर तनाव समाप्त करना तथा शांति स्थापित करना द्विपक्षीय संबंधों का सम्पूर्ण विकास सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है।'' विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने कहा कि यह पांच जुलाई को दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान बनी सहमति के अनुरूप है।
गौरतलब है कि पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर करीब दो घंटे तक पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए चर्चा की थी। दोनों पक्षों ने इस वार्ता के बाद छह जुलाई के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की थी।
बहरहाल, विदेश मंत्रालय ने कहा कि शुक्रवार की बातचीत में दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि अब तक वरिष्ठ कमांडरों की बैठक में बनी सहमति को गंभीरता से लागू किया जाए।