इससे पहले इसी परिसर से 12 अक्टूबर 2009 को इसी प्रकार का दोहरा परीक्षण किया गया था। उस समय भी दोनों परीक्षण सफल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस मिसाइल में दो तरल प्रणोदक इंजन लगे हैं।
एक रक्षा वैज्ञानिक ने बताया कि इन मिसाइलों को उत्पादन भंडार से चुनिंदा आधार पर चुना गया था। अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों की निगरानी में विशेष रूप से गठित सामरिक बल कमान (एएफसी) ने प्रक्षेपण की संपूर्ण गतिविधियां कीं।
सूत्रों ने बताया कि मिसाइल के मार्ग पर ओडिशा के तट पर स्थित टेलीमेटी स्टेशनों, इलेक्टो-आप्टिकल ट्रैकिंग प्रणालियों और डीआरडीओ रडारों से नजर रखी गई। रक्षा सू़त्रों ने बताया कि भारतीय सैन्य बलों में वर्ष 2003 में शामिल की गई नौ मीटर लंबी पृथ्वी 2 ऐसी पहली मिसाइल है जिसे डीआरडीओ ने एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित किया है। (एजेंसी)