विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों ने किसी खास मामले का जिक्र किए बगैर लंबित अनुरोधों पर आगे बढ़ने में कानूनी सहयोग मजबूत करने का संकल्प लिया। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते मुंबई की एक विशेष अदालत ने धन शोधन के मामले का सामना कराने को लेकर शराब कारोबारी विजय माल्या को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भारत-ब्रिटेन पारस्परिक विधिक सहायता संधि (एमएलएटी) का उपयोग करने की इजाजत दी थी।
समझा जाता है कि माल्या के प्रत्यर्पण के मुद्दे का वार्ता में जिक्र हुआ। हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लगभग 9000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण की कथित अदायगी नहीं करने के मामले में धन शोधन (मनी लाउंड्रिंग) के आरोपों पर माल्या के खिलाफ जांच चल रही है।
विदेश मंत्रालय ने दो दिनों की वार्ता के बाद मंगलवार को एक बयान में कहा कि दोनों देशों ने कानूनी प्रक्रियाओं और अपने-अपने यहां कार्यप्रणाली पर विस्तृत और सार्थक चर्चा की। साथ ही एक दूसरे के यहां लंबित प्रत्यर्पण के अनुरोध और आपसी कानूनी सहायता की समीक्षा की।
यह बताया गया कि दोनों देशों ने कानूनी सहयोग मजबूत करने और लंबित अनुरोधों के निपटारे में तेजी लाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह सहमति बनी कि दोनों देशों के केंद्रीय अधिकारी हर छह महीने पर इन मामलों की प्रगति की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा करेंगे।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पासपोर्ट एवं वीजा मामलों के संयुक्त सचिव, दूतावास ने की। इसमें गृह मंत्रालय और कानून एवं न्याय तथा सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, संबद्ध राज्यों के प्राधिकार सहित जांच एजेंसियों के प्रतिनिधि थे।
ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूके सेंटल अथॉरिटी फॉर एक्सटाडिशन एंड म्युचुअल लीगल असिसटेंस ने किया।