केंद्र सरकार ने इंडियन लेबर कांफ्रेंस (आईएलसी) को फजीहत से बचने के लिए बेमियादी तौर पर टाल दिया है। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना था। आरआरएस समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने बजट में मजदूर और कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध में कांफ्रेंस के बायकॉट और प्रधानमंत्री के घेराव की धमकी दी थी।
47वीं इंडियन लेबर कांफ्रेंस 26 और 27 फरवरी को होना तय थी और इसमें मजदूरों के रोजगार और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा किया जाना प्रस्तावित था। केंद्र सरकार रोजगार और श्रम मंत्रालय की तरफ से आयोजित की जाने वाली कांफ्रेस को स्थगित करने कोई कारण नहीं बताया गया है। बीएमएस के अध्यक्ष सजी नारायणन ने कहा कि मंत्रालय की ओर से केवल इतना कहा गया है कि कांफ्रेंस स्थगित कर दी गई है और परेशानी के लिए खेद है। केंद्र सरकार के बजट में मजदूरों के हितों में कोई घोषणा नहीं किए जाने पर बीएमएस ने इससे पहले इस कांफ्रेस के बायकॉट की चेतावनी दी थी। सरकार ने फजीहत से बचने के लिए यह कदम उठाया है।
बीएमएस का कहना है कि सरकार मजदूरों के हितों में कदम उठाए और जल्द ही आईएलसी आयोजित करे। आईएलसी को केवल कोई दिखावा नहीं है। यह मजदूरों के हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने की अहम कांफ्रेस समझी जाती है जिस करने से पहले सरकार को होमवर्क करना चाहिए था जिसे करने में सरकार नाकाम रही। देखा जाए तो मजदूरों की कल्याण और हितों के मामले में सरकार और यूपीए तीन में कोई फर्क नहीं है। सरकार आर्थिक सुधारों पर केवल गुमराह करती रही है। सरकार की आर्थिक नीतयों के लिए परेशानी ख़ड़ी करने वाली बात है कि आरआरएस से जुड़े संगठन बीएमएस और स्वदेशी जागरण मंच ही उसका विरोध करते रहे हैं। इसी से बचने के लिए सरकार की आईएलसी को टालना पड़ा।