Advertisement

यूपी को मिला देश का पहला इनलैंड वॉटरवे टर्मिनल, जानें क्या है खासियत

देश के पहले इनलैंड वॉटरवे (नदी मार्ग) के टर्मिनल की शुरूआत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने...
यूपी को मिला देश का पहला इनलैंड वॉटरवे टर्मिनल, जानें क्या है खासियत

देश के पहले इनलैंड वॉटरवे (नदी मार्ग) के टर्मिनल की शुरूआत सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से कर दी। 1620 किलोमीटर लंबे इस वाटरवे की खास बात यह है कि यह चार राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और उत्तरप्रदेश को जोड़ेगा। इन राज्यों में 20 टर्मिनल हैं जिनमें 18 फ्लोटिंग। इस वाटरवे की क्षमता 12 लाख टन है। यानी टर्मिनल के शुरू होने पर गंगा के रास्ते कारोबार के नए युग की शुरूआत होगी।

वॉटरवे-1 से गंगा के जरिए उत्तरप्रदेश के वाराणसी से पश्चिम बंगाल के हल्दिया के बीच माल ढुलाई आसान होगी। इसे वॉटरवे डवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया तथा इसके लिए वर्ल्ड बैंक से भी मदद मिली है। देश का सबसे लंबा वॉटरवे है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी-हल्दिया वाटरवे का उद्घाटन करते हुए वाराणसी को पहला कंटेनर डिपो भी सौंपा। इससे माल की ढुलाई आसान होगी। इस पूरे वाटरवे की लंबाई 1400 किलोमीटर है। इस टर्मिनल से वाराणसी से दक्षिण एशियाई देशों में सामान सीधे भेजा जा सकेगा।

कर सकेगा चीन का मुकाबला

कोलकाता बंदरगाह के जरिये यह उत्तर भारत को पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और अन्य दक्षिण एशियाई को जोड़ेगा। जानकारों के मुताबिक सागरमाला के जरिए भारत दक्षिण एशिया के कारोबार में चीन के मुकाबले अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा सकेगा।

1986 में इसे सरकार ने दोबारा शुरू करने की योजना बनाई थी, जो पूरी नहीं हो पाई थी जिसे अब साकार किया जा रहा है। बताया जाता है कि आजादी के पहले इस रूट पर कारोबार होता था।

सरकार ने वॉटर-वे एक्ट 2016 के तहत देश में 111 वाटरवे को नेशनल वॉटर-वे घोषित किया गया है। इनकी कुल दूरी 14500 किमी है।

चार राज्यों से होकर गुजरेगा

वॉटरवे-1 चार राज्यों उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरेगा। इससे कोलकता, पटना, हावड़ा, इलाहाबाद, वाराणसी जैसे शहर वॉटरवे जुड़ेंगे। वॉटरवे-1 पर चार मल्टी मॉडल टर्मिनल- वाराणसी, साहिबगंज, गाजीपुर और हल्दिया बनाए गए हैं। जल मार्ग पर 1500 से 2000 मीट्रिक टन क्षमता वाले जहाजों को चलाने के लिए कैपिटल ड्रेजिंग के जरिए 45 मीटर चौड़ा गंगा चैनल तैयार किया गया है। पहला वॉटरवे तैयार करने का जिम्मा इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (आईडब्ल्यूएआई) को सौंपा गया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad