नयी दिल्ली, आईपी यूनिवर्सिटी में किसान बिरादरी के साथ विकसित भारत@2047 पर एक ग्रामीण संयोजन सत्र का आयोजन किया गया। द्वारका कैम्पस में आयोजित इस सत्र में दिल्ली के आस-पास के तक़रीबन 50 से ज़्यादा ग्राम प्रमुखों ने भाग लिया। यूनिवर्सिटी के विकसित भारत@2047 सेल के निदेशक प्रो. अनुज कुमार बख्श ने बताया कि इस सत्र के आयोजन का मक़सद इन गावों को भी शहरी विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है।
इस सत्र को सम्बोधित करते हुए यूनिवर्सिटी के कुलपति पद्मश्री प्रो. (डॉ.) महेश वर्मा ने कहा कि गावों के विकास के बग़ैर देश का विकास अधूरा रह जाएगा। विकसित देश अमेरिका का उदाहरण देते हुए उन्होंने जनकारी दी कि वहाँ गाँव और शहर में एक जैसी सुविधाएँ हैं। इजराइल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ पानी की सीमित उपलब्धता के बावजूद कृषि के लिए सिंचाई की बेहतरीन व्यवस्था विकसित की गई है।
उन्होंने कहा कि गावों के विकास के लिए कृषि के अतिरिक्त अन्य विकल्पों पर भी काम करने की ज़रूरत है। वहाँ कुटीर उद्योग एवं लघु उद्योग लगाए जा सकते हैं।विकसित देशों के तर्ज़ पर ग्रामीण पर्यटन को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने कृषि में नवीनतम तकनीक, उन्नत बीज, ऑर्गैनिक खाद, इत्यादि के प्रयोग के लिए किसानों को जागरूक करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मॉडल गाँव बना कर ही शहर और गाँव के बीच के अंतर को कम किया जा सकता है।
किसान नेता चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने दिल्ली के सभी 360 गावों को ‘मॉडल गाँव’ के रूप में विकसित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश के विकास के सफ़र में गावों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उन्होंने किसानों को हानिकारक कीटनाशक की जगह ऑर्गैनिक खाद के प्रयोग की सलाह दी। उन्होंने कहा कि किसानों को ऑर्गैनिक एवं पेशेवर कृषि करने के लिए जागरूक एवं प्रेरित करने में यूनिवर्सिटी काफ़ी मददगार साबित हो सकती है। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी के विकसित भारत सेल की त्रैमासिक पत्रिका के प्रथम अंक का लोकार्पण भी किया गया।