यूपी के एटा जिले में छुट्टी पर घर आए आईटीबीपी के जवान ने खुदकुशी कर ली। जिस समय जवान ने घटना को अंजाम दिया उस पर परिजन बाजार गए हुए थे। जवान द्वारा की गई खुदकुशी की यह कोई पहली घटना नहीं है। बढ़ती घटनाओं ने सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि आखिर देश की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले जवान इस तरह के कदम क्यों उठा रहे हैं?
एटा के कस्बा निधौली कलां के मुहल्ला बड़ा बाजार निवासी 40 वर्षीय दिनेश कुमार गिरि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी) में आरक्षी के पद पर बंगाल में तैनात थे। फिलहाल उन्हें कानपुर से अटैच कर दिया गया था। वह सात जुलाई को सात दिन के अवकाश पर घर आए थे। बुधवार दोपहर एक बजे जब परिजन बाजार चले गए तो उन्होंने खुदकुशी कर ली। बाजार से वापस आने पर परिजनों ने फंदे पर लटका शव देखा तो सकते में रहे गए। कारण का अभी पता नहीं लग सका है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
पिछले साल हिमाचल प्रदेश में तैनात आईटीबीपी जवान सतीश पांडेय ने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। वह भी तब छुट्टी लेकर घर आया हुआ था।
सालाना परीक्षा देनी होगी
जवानों में लगातार खुदकुशी की घटनाएं बढ़ रही हैं। पिछले दिनों बीएसएफ ने बढ़ती घटनाओं को लेकर एक सालाना परीक्षा अनिवार्य कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि जवान मानसिक रूप से स्वस्थ्य हैं या नहीं। उनके टेस्ट के आधार पर ही उन्हें ड्यूटी दी जाएगी और उनकी समस्या दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। अभी तक जवानों के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए केवल सालाना फिजिकल टेस्ट ही लिया जाता था।
साल दर साल बढ़ी घटनाएं
संसद में पेश किए गए आंकड़ों की बात करें तो जवानों में खुदकुशी की घटनाएं साल दर साल बढ़ती रही है। साल 2016 में जवानों के खुदकुशी के मामले 101, 2015 में 78 और 2014 में 84 थे।
सवाल यह है कि आखिरकार सेना के जवान इन वारदातों को क्यों अंजाम देते हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अपनी चुस्त ड्यूटी, कड़े अनुशासन और परिवार से दूर होने की वजह से जवान अक्सर तनाव में रहते हैं। कई विषय परिस्थिति और मौसम में काम करने की वजह से भी उनका तनाव बढ़ जाता है। इसी वजह से जवान खुदकुशी या हत्या जैसी वारदात को अंजाम दे देते हैं।