आयकर विभाग ने इस्लामिक संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को दी गई कर छूट को वापस ले लिया है। विभाग ने पाया कि पीएफआई की गतिविधियां कानूनी रूप से अधिसूचित धर्मार्थ संगठनों की तरह नहीं हैं। संगठन की गतिविधियां सही नहीं हैं। साथ ही पीएफआई का 80जी का पंजीकरण रद्द कर दिया है। यानी अब पीएफआई को आयकर देना होगा और दानदाताओं को भी किसी तरह की कर छूट नहीं मिलेगी।
विभाग ने हाल में पीएफआई को आयकर कानून, 1961 की धारा 12एए (3) के तहत दिए गए पंजीकरण को रद्द कर दिया था। पीएफआई को यह पंजीकरण अगस्त, 2012 में मिला था।
विभाग की ओर से मार्च में जारी आदेश में कहा गया है कि पीएफआई को दिया गया कर लाभ आकलन वर्ष 2016-17 से ‘रद्द किया जा रहा है/वापस लिया जा रहा है।’’ इस आदेश का मतलब है कि पीएफआई को अब आयकर देना होगा। साथ ही पीएफआई के दानदाताओं को भी किसी तरह की कर छूट नहीं मिलेगी। पीएफआई इस आदेश को विभाग के उच्च प्राधिकरणों और बाद में अदालतों में चुनौती दे सकता है।
आयकर विभाग ने क हा है कि यह राजनीतिक संगठन कई समुदायों के बीच भाईचारा और मित्रता को खत्म करने वाली गतिविधियों में लिप्त था। आधिकारिक आदेश के अनुसार, पीएफआई एक खास धार्मिक समुदाय को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। यह इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 13(1)(बी) का उल्लंघन था। उसके खिलाफ आईटी एक्ट के सेक्शन 12एए (4)(ए) के प्रावधान के तहत कार्रवाई की गई है।
पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में हुई थी। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। विभिन्न राज्यों के पुलिस विभागों के साथ केंद्रीय एजेंसियां मसलन प्रवर्तन निदेशालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पीएफआई की जांच कर रही है। पीएफआई के सदस्यों पर मनी लांड्रिंग के अलावा आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल होने का आरोप है।