देशभर में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार को जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने शुक्रवार को संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित पुलिस बर्बरता के खिलाफ एक दिन की भूख हड़ताल की। छात्रों ने अवैध रूप से हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों की रिहाई और हिंसा में शामिल लोगों की गिरफ्तारी की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की। वहीं, कोऑर्डिनेशन कमेटी के आह्वान पर छात्रों ने यूपी भवन पर प्रदर्शन किया जिसमें कुछ छात्रों को हिरासत में ले लिया गया।
छात्रों की अन्य मांगों में कथित पुलिस क्रूरताओं में घायल लोगों को चिकित्सा सहायता, पुलिस कार्रवाई में नष्ट हुए लोगों को मुआवजा और मनमाने रवैये पर रोक लगाना शामिल है। छात्रों ने कहा कि जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के 12 दिसंबर को आंदोलन शुरू होने के बाद से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिस का रवैया हिंसात्मक और बर्बरतापूर्ण रहा। हालांकि जामिया व अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के समर्थन में देश भर की यूनिवर्सिटी के छात्रों और इलाके को लोगों ने एकजुटता दिखाई।
पहली जनवरी तक का दिया अल्टीमेटम
छात्रों को जनता ने भी सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर बिना भेदभाव के समर्थन दिया। छात्रों ने चेतावनी दी कि अगर सरकार पहली जनवरी तक उनकी मांगों पर तत्काल ठोस कार्रवाई नहीं करती है, तो हम अन्य यूनिवर्सिटी में भी भूख हड़ताल का आह्वान करेंगे और जामिया में क्रमिक अनशन करेंगे।
पुलिस की कार्रवाई सवालों के घेरे में
दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 4 फरवरी को होगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि बिना अनुमति के पुलिस परिसर और लाइब्रेरी में दाखिल हुई। इस बारे में जामिया मिलिया के चीफ प्रोक्टर ने भी बयान जारी किया, जो पुलिस के दावे के विपरीत था। जिसमें कहा गया कि पुलिस को परिसर में दाखिल होने की कोई मंजूरी नहीं दी गई थी।