जेएनयू देशद्रोह मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस के डीसीपी को गैर हाजिर होने पर फटकार लगाई है। सुनवाई में आईओ देर से पहुंचे जिसके बाद जज दीपक सहरावत ने अपनी नारागी जताई। इससे पहले भी पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने डीसीपी (विशेष सेल) को अदालत में पेश गोने को कहा था। अदालत के आदेश के बाद भी आज सुनवाई में डीसीपी शामिल नहीं हुए हैं।
पहले भी मिली है फटकार
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 10 छात्रों के खिलाफ कथित देशद्रोह के मामले में अदालत दिल्ली् पुलिस को पहले भी फटकार लगा चुकी है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार की मंजूरी के बिना चार्जशीट दायर करने पर भी प्रतिक्रिया दी थी।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बिना कानून विभाग की मंजूरी और दिल्ली सरकार की अनुमति के बिना चार्जशीट कैसे दाखिल हुई। अदालत के इस सवाल पर दिल्ली पुलिस का जवाब था कि उन्हें 10 दिन के अंदर दिल्ली सरकार से चार्जशीट के लिए जरूरी मंजूरी मिल जाएगी।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित 10 छात्रों के खिलाफ कथित रूप से देशद्रोह के मामले में अदालत दिल्ली पुलिस को पहले भी समझाइश दे चुकी है।
कन्हैया सहित दो अन्य पर है आरोप
यह सुनवाई 2016 के जेएनयू देशद्रोह मामले में जुड़ा हुआ है जहां दावा किया गया था कि जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के साथ कुछ छात्रों ने देश विरोधी नारे लगाए थे। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत ने इस मामले में शनिवार को संबंधित मामले के लिए पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को नए सिरे से समन जारी किया है।
दिल्ली पुलिस ने पहले अदालत को बताया था कि अधिकारियों को अभी तक जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक अनुमति देने की आवश्यकता थी, और अनुमति की प्रक्रिया में दो से तीन महीने लगेंगे।
2016 का है मामला
14 जनवरी को, पुलिस ने कुमार और अन्य के खिलाफ अदालत में एक आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि कुमार 9 फरवरी, 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान जेएनयू परिसर में देशविरोधी नारे लगाने वाले एक जुलूस का समर्थन कर रहे थे। कोर्ट ने इस मामले में सौंपे गए डीसीपी से भी रिपोर्ट मांगी थी।
अदालत ने इससे पहले पुलिस को निर्देश दिया था कि वह जेएनयू के पूर्व छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित कुमार और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी हासिल करे। इसके लिए तीन सप्ताह का समय देते हुए अदालत ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए संबंधित अधिकारियों से जानकारी ली थी।