दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का केस चलाने की मंजूरी के लिए दिल्ली की आप सरकार को निर्देश देने से इनकार कर दिया।
भाजपा विधायक को एफआइआर में व्यक्तिगत रुचि - कोर्ट
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायाधीश सी. हरी शंकर की बेंच ने कहा कि वह इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती है। दिल्ली सरकार मौजूदा नियम, नीति, कानून और केस के तथ्यों को ध्यान में रखकर फैसला कर सकती है कि केस चलाने की अनुमति दी जाए या नहीं। अदालत ने याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता भाजपा विधायक नंद किशोर गर्ग को कन्हैया कुमार के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने में व्यक्ति रुचि (दिखती) है।
कोर्ट से गाइडलाइन की मांग की गई थी
हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में मांग की गई थी कि कन्हैया कुमार जैसे प्रभावाशाली व्यक्तियों की संलिप्तता वाले गंभीर आपराधिक मामलों के जल्दी निस्तारण के लिए गाइडलाइन जारी की जाए। इस पर अदालत ने कहा कि मौजूदा कानून के अतिरिक्त सरकार के लिए किसी तरह गाइडलाइन जारी करने की कोई वजह नजर नहीं आती है। इस बारे में तमाम अदालतों द्वारा कई फैसले दिए जा चुके हैं।
जांच समिति बनाने से भी इनकार
एडवोकेट शंशाक देव सुधी के जरिये दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया कि कन्हैया कुमार के केस में सरकार सुस्त रवैया अपना रही है और उसने चार्जशीट पर संज्ञान लिए जाने के लिए आवश्यक मंजूरी नहीं दी है। कोर्ट ने इस मामले में देरी की जांच के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने की भी मांग खारिज कर दी।
ये है मामला
पुलिस ने इस साल जनवरी में कन्हैया कुमार और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पुलिस ने कहा था कि 9 फरवरी 2016 को इन छात्रों ने एक प्रदर्शन का नेतृत्व किया और इस मौके पर लगाए गए देशविरोधी नारों का समर्थन किया।