भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में पुणे पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि ये लोग प्रतिबंधित माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई-माओ) से जुड़े हुए हैं। पुलिस ने इन्हें ‘अरबन नक्सल’ और 'टॉप अरबन माओवादी' की संज्ञा दी है।
भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के मौके पर 31 दिसंबर, 2017 को महाराष्ट्र के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद का आयोजन किया गया था। अगले दिन 1 जनवरी को यहां हिंसा हुई थी।
जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें एल्गार परिषद का आयोजन करने वाले और रिपब्लिकन पैंथर्स जाति अंताचि चलवल के नेता सुधीर धवले, कमेटी फॉर रिलीज ऑफ पॉलिटिकल प्रिजनर्स (सीआरपीपी) की रोना विल्सन और नागपुर के वकील सुरेंद्र गडलिंग शामिल हैं। ये लोग सोशल एक्टिविस्ट हैं और वामपंथी विचारधारा की तरफ झुकाव रखते हैं।
इसके अलावा नागपुर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर शोमा सेन और पीएमआरडी के फॉर्मर फेलो महेश राउत के घर पर भी तलाशी ली गई है। पुलिस के सूत्रों के मुताबिक, इन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
पुणे पुलिस के मुताबिक, मंगलवार को चार टीमें दिल्ली, मुंबई और नागपुर के लिए रवाना हुईं। पुलिस ने बुधवार से गिरफ्तारी शुरू कर दी है। धवले को सुबह 6 बजे उनके घर से, विल्सन को दिल्ली के मुनिरका इलाके से और गडलिंग को नॉर्थ नागपुर से गिरफ्तार किया गया।
पुलिस के मुताबिक, इन्हें स्थानीय अदालतों में ट्रांजिट रिमांड के लिए पेश किया जाएगा। इसके बाद उन्हें पुणे लाया जाएगा। शिकायतकर्ता की तरफ से आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने दलितों को उकसाया और हिंसा के लिए भड़काया।
मानवाधिकार संगठनों ने किया विरोध
भीमा कोरेगांव मे एल्गार परिषद आयोजित करने वाले शौर्यदिन प्रेरणा अभियान ने इस पुलिस एक्शन की निंदा की है। इन गिरफ्तारियों के विरोध में गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवाणी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं। इसे लेकर पीयूसीएल समेत कई मानवाधिकार संगठन भी रोष जता रहे हैं और विरोध प्रदर्शन की तैयारी में हैं।