देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह का कहना है कि देश में कोविड-19 संक्रमण का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। वहीं, सरकार बार-बार यह कह रही है कि अभी कोरोना वायरस संक्रमण कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्तर पर नहीं पहुंचा है। इसलिए ये मानना गलत होगा कि मौजूदा हाल में कोरोना पर काबू कर पाना संभव होगा। उन्होंने सरकार के तौर तरीकों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि देश को अब लॉकडाउन की कठोर सख्ती, नीतियों में समन्वय की कमी की कीमत चुकानी पड़ रही है।
यह खुलासा इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA), इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमियोलॉजिस्ट (IAE) के विशेषज्ञों की ओर से प्रधानमंत्री को सौंपी गई एक रिपोर्ट में किया गया है। इसमें कहा गया है कि देशव्यापी लॉकडाउन महामारी के प्रसार को रोकने और प्रबंधन के लिए प्रभावी योजना बनाने के लिए किया गया था ताकि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली प्रभावित ना हो। यह संभव हो रहा था लेकिन नागरिकों को हो रही असुविधा और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास में चौथे लॉकडाउन में दी गई राहतों के कारण यह प्रसार बढ़ा है। यदि इस महामारी की शुरुआत में ही, जब संक्रमण की रफ्तार कम थी, मजदूरों को घर जाने की अनुमति दे दी गई होती तो इस हालत से बचा जा सकता था।
महामारी के एक्सपर्ट्स की सलाह में की गई अनदेखी
विशेषज्ञों ने कहा है कि महामारी से निपटने के उपायों संबंधी फैसले लेते समय महामारी के एक्सपर्ट्स से सलाह नहीं ली गई। केंद्र सरकार ने अगर महामारी के जानकारों से सलाह ली होती तो बेहतर उपाय किए जाए। लगता है कि मौजूदा सार्वजनिक जानकारी के आधार पर सरकार ने डॉक्टरों और एकेडमिक महामारी वैज्ञानिकों से सलाह ली। उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं ने साफ तौर पर सामान्य प्रशासनिक नौकरशाहों पर भरोसा किया जबकि इसमें महामारी और सामाजिक विज्ञान क्षेत्र के एक्सपर्ट्स की भूमिका सीमित थी जिसके चलते देश इस समय मानवीय संकट और महामारी के रुप में बड़ी कीमत चुका रहा है।
राहत देने से फैस सकता है बड़े पैमाने पर संक्रमण
विशेषज्ञों ने आगाह किया कि लॉकडाउन में राहत देने के कारण कोरोना वायरस बड़े पैमाने पर फैल सकता है। कुछ का कहना है कि देश में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन का तीसरा चरण पहले ही शुरू हो चुका है। देश में लॉकडाउन का पांचवां चरण शुरू हो गया। लॉकडाउन खुलने पर जोखिम और बढ़ेगा। लोगों की आवाजाही बढ़ जाएगी और इससे वायरस के बड़े पैमाने पर फैलने की आशंका भी बढ़ जाएगी। इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा शारीरिक दूरी बनानी होगी और मास्क पहनना एवं हाथ धोने जैसी आदतों का लगातार पालन करना होगा।
16 सदस्यीय संयुक्त कोविड-19 टास्क फोर्स में IAPSM के पूर्व अध्यक्ष डॉ शशि कांत, IPHA के अध्यक्ष डॉ. संजय के. राय, बीएचयू के डॉ डीसीएस रेड्डी और चंडीगढ़ स्थित पीजीआईएमईआर के डॉ. राजेश कुमार शामिल हैं। डॉ. रेड्डी और डॉ. कांत कोरोना महामारी के लिए महामारी विज्ञान और निगरानी पर एक आईसीएमआर के सदस्य हैं।