मध्य प्रदेश के कथित हनी ट्रैपिंग मामले में गिरफ्तार आरोपियों के लैपटॉप और मोबाइल से पुलिस ने चार हजार से ज्यादा फाइलें निकाली हैं। बरामद फाइलों में ऑडियो रिकॉर्डिंग, वीडियो क्लिप और चैट के स्क्रीनशॉट शामिल हैं, जिनमें कई में आपत्तिजनक चीजें हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस सामग्री का इस्तेमाल राज्य के नौकरशाहों, राजनेताओं और व्यापारियों को कथित रूप से ब्लैकमेल करने के लिए किया गया था। इस मामले में मानव तस्करी की शिकायत की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। एक आरोपी लड़की के पिता की शिकायत पर पुलिस ने मानव तस्करी से जुड़ी धाराओं में मामला दर्ज किया है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसकी बेटी और कई अन्य को मुख्य आरोपी आरती ने लालच देकर गिरोह में फंसाया। पिता ने आरोप लगाया है कि हनी ट्रैपिंग में मास्टरमाइंड युवतियों कियों को झूठे वादे करके फुसलाते हैं और फिर उन्हें देह व्यापार के लिए मजबूर करते हैं। इस बारे में आईपीसी की धारा 370, 370 (ए) और 120 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, मामले में लड़की को भी गवाह बनाया जा सकता है।
सबूत जुटा रही है पुलिस
एसआईटी प्रमुख संजीव शर्मा ने कहा कि यह एक गंभीर अपराध है और जांच पूरी होने तक किसी नाम का खुलासा नहीं किया जाएगा। मामले में जांच जारी है। इस स्थिति में कोई भी नाम लेना जल्दबाजी होगी। इस मामले में पांच महिलाओं और एक पुरुष को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में मोनिका, श्वेता और आरती शामिल हैं। मोनिका को सोमवार को पुलिस द्वारा सबूत इकट्ठा करने और आगे पूछताछ के लिए भोपाल लाया गया था। 23 सितंबर को मीडियाकर्मियों से बात करते हुए पुलिस ने कहा कि मोनिका एक मुख्य आरोपी के साथ भोपाल में रह रही थी।
इंजीनियर की शिकायत पर हुआ खुलासा
पुलिस ने बताया, हमने कॉलेज प्रशासन और मोनिका के माता-पिता से बात करने के लिए कहा है ताकि यह पता चल सके कि वह क्यों और कैसे हनी ट्रैंपिग के जाल में फंस गई। मोनिका ने यह भी बताया कि वह पिछले चार महीनों से भोपाल के एक फ्लैट में मुख्य आरोपी आरती के साथ रह रही थी। इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद यह घटना सामने आई। दो महिलाएं उसे कुछ आपत्तिजनक वीडियो वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल कर रही थीं। सिविल इंजीनियर को बाद में आईएमसी द्वारा निलंबित कर दिया गया।