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शरद पवार और अजीत पवार के फिर एक होने की अटकलें, अब पार्टी की तरफ से आया ये बयान

एनसीपी (सपा) नेता अनिल देशमुख ने शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच हाल की बैठकों के बाद राजनीतिक...
शरद पवार और अजीत पवार के फिर एक होने की अटकलें, अब पार्टी की तरफ से आया ये बयान

एनसीपी (सपा) नेता अनिल देशमुख ने शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच हाल की बैठकों के बाद राजनीतिक पुनर्मिलन की अटकलों को सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि प्रतिद्वंद्वी एनसीपी गुटों के एक साथ आने पर कोई चर्चा नहीं हुई।

एनसीपी (सपा) अध्यक्ष शरद पवार और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बीच हाल के दिनों में कई बार मुलाकात हो चुकी है, जिससे राजनीतिक हलकों में सुलह की अटकलें तेज हो गई हैं।

इस बारे में पूछे जाने पर देशमुख ने यहां संवाददाताओं से कहा, "दोनों एनसीपी के फिर से एकजुट होने पर कोई चर्चा नहीं हुई है। दोनों नेता चीनी और शैक्षणिक संस्थानों से जुड़े मुद्दों पर अलग-अलग मौकों पर मिलते रहते हैं। दोनों गुटों के विलय पर कोई चर्चा नहीं हुई है।" राज्य के पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि ऐसी बैठकें नियमित होती हैं।

राज्य में लंबित विभिन्न स्थानीय और नगर निकाय चुनावों के मुद्दे पर देशमुख ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आयोजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "स्वच्छ पेयजल और शासन संबंधी मुद्दे लंबित हैं, इसलिए चुनावों में और देरी नहीं होनी चाहिए।"

महत्वपूर्ण और नकदी संपन्न बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) सहित कई स्थानीय और नगर निकायों के चुनाव लंबे समय से लंबित हैं।सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले महीने राज्य चुनाव आयोग को चार महीने के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था, जो मिनी-विधानसभा चुनाव होंगे।

सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले महीने राज्य चुनाव आयोग को चार महीने के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था, जो मिनी-विधानसभा चुनाव होंगे।

रायगढ़ और नासिक में संरक्षक मंत्री नियुक्त न किए जाने के मुद्दे पर देशमुख ने कहा, "यह निराशाजनक है कि प्रमुख प्रशासनिक पद खाली रह गए हैं। बेहतर प्रशासन के लिए हमें साथ मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा।" उन्होंने किसानों की वास्तविक समस्याओं को दूर करने में विफल रहने के लिए राज्य सरकार की भी आलोचना की।

देशमुख ने कहा, "उन्होंने कर्ज माफी का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं किया गया। सरकार को काम करना चाहिए, सिर्फ बातें नहीं करनी चाहिए।"

उन्होंने मालेगांव में शिक्षकों की भर्ती में धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग की।उन्होंने आरोप लगाया, "100 से अधिक फर्जी शिक्षकों की भर्ती फर्जी तरीकों से की गई है।" उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस मामले में तत्काल कार्रवाई करने में विफल रहती है तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

उन्होंने कहा, "यदि शिक्षा मंत्री के अपने निर्वाचन क्षेत्र में घोटाला हो रहा है तो इसकी गहन एवं स्वतंत्र जांच आवश्यक है।"

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