राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर फिर हमला बोला है। कांग्रेस नेता और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राफेल पर सीएजी की रिपोर्ट के बारे में गलत तथ्य पेश किए हैं। इसके लिये उसे माफी मांगनी चाहिए। कोर्ट में यह झूठ कहा गया कि सीएजी रिपोर्ट संसद में पेश की गई।
शनिवार को कांग्रेस नेता खड़गे ने मीडिया से कहा, 'सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला कि सीएजी रिपोर्ट संसद और पीएसी में पेश की गई थी और पीएसी ने इसकी जांच की है। सरकार ने कहा कि यह पब्लिक डोमेन में है। कहां है? क्या आपने इसे देखा है? उन्होंने कहा कि सरकार ने कोर्ट के समक्ष कैग रिपोर्ट तौर पर गलत जानकारी रखी जिस वजह से इस तरह का फैसला आया है।
'कैग रिपोर्ट पर सरकार ने बोला झूठ'
कांग्रेस नेता ने कहा कि राफेल के बारे में कोर्ट के सामने सरकार को जिन चीजों को ठीक ढंग से रखना चाहिए था, वो नहीं रखा। अटॉर्नी जनरल ने इस तरह से पक्ष रखा कि कोर्ट को यह महसूस हुआ कि कैग रिपोर्ट संसद में पेश हो गई है और पीएसी ने रिपोर्ट ने देख ली है लेकिन जब पीएसी जांच करती है तो साक्ष्यों को देखती है। लेकिन कोर्ट को गलत जानकारी दी गयी और जिसके आधार पर गलत फैसला आया।
'कोर्ट जांच एजेंसी नहीं'
खड़गे ने कहा, 'मैं पीएसी के सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि अटॉर्नी जनरल और सीएजी को यह बात पूछने के लिए तलब करें कि राफेल डील पर सीएजी की रिपोर्ट कब संसद में पेश की गई।' उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जांच एजेंसी नहीं है। सिर्फ जेपीसी राफेल डील की जांच कर सकती है।
जेपीसी करें जांचः राहुल गांधी
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बताए कि इस मामले पर कैग की रिपोर्ट कहां है जिसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट में किया गया है। उन्होंने इस मामले की संयुक्त जेपीसी से जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर यह जांच हो गई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी का नाम ही सामने आएगा।
कोर्ट ने दी क्लीनचिट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राफेल मामले में अपना फैसला सुनाते हुए उसकी जांच से जुड़ी याचिका खारिज कर दी थी। साथ ही कहा था कि हमें राफेल खरीद की प्रक्रिया पर कोई संदेह नहीं है। देश बिना तैयारी के नहीं रह सकता है।ऑफसेट साझेदार के मामले पर तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।