न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने विजय माल्या को तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देने के साथ ही भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम की याचिका पर सुनवाई दो फरवरी के लिए स्थगित कर दी।
बैंकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने आरोप लगाया कि विजय माल्या ने अपने बच्चों के नाम चार करोड़ अमेरिकी डॉलर हस्तांतरित करके कर्ज वसूली न्यायाधिकरण और कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि यह रिकॉर्ड का तथ्य है कि माल्या और उनकी कंपनियों पर बैंकों का 6200 करोड़ रुपये बकाया है और यह धन यहां जमा कराया जाना चाहिए था।
दूसरी ओर, माल्या की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बैंकों की अर्जी का जवाब देने के लिए समय मांगा जो न्यायालय ने उन्हें दे दिया। न्यायलय ने पिछले साल अक्टूबर में माल्या को आड़े हाथ लिया था क्योंकि उन्होंने विदेशों में अपनी संपत्ति के बारे में पूरा खुलासा नहीं किया था। न्यायालय ने उन्हें सारा खुलासा करने के लिए एक महीने का वक्त दिया था।
पीठ ने पिछले साल फरवरी में ब्रिटिश फर्म दियागियो से कथित रूप से मिले चार करोड़ अमेरिकी डॉलर का विवरण नहीं देने के कारण भी उन्हें आड़े हाथ लिया था। पीठ ने कहा था कि पहली नजर में उसका मानना है कि पहले के आदेश के अनुरूप सही तरीके से संपत्ति का खुलासा नहीं किया गया है।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पिछले साल 20 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा था कि माल्या ने जानबूझ कर 25 फरवरी को दियागियो से चार करोड़ अमेरिकी डॉलर मिलने सहित अपनी संपत्तियों का पूरा विवरण नहीं था। (एजेंसी)