रेलवे स्टेशन पर बतौर कुली काम करने वाली मंजू देवी पहली महिला कुली हैं। वह अपने तीन बच्चों के साथ परिवार में अकेली कमाने वाली हैं। उत्तर-पश्चिम रेलवे में अन्य कुलियों की तरह वह भी ट्रेनों का इंतजार करती हैं। ट्रेन से उतरते हर एक यात्री के साथ उनकी यह उम्मीद होती है कि शायद वह उन्हें बुलाकर कह दे कि यह बताइए इस लगेज को स्टेशन के बाहर तक पहुंचाने का आप कितना पैसा लेंगी।
मंजू देवी के पति की मौत 10 साल पहले हो गई थी। पारिवारिक झगड़ों और मानसिक तनाव के बीच उनकी मां मोहिनी ने उनका हौसला बढ़ाया, जिसके बाद देवी ने अपने मृत पति महादेव का कुली लाइसेंस नंबर. 15 हासिल किया और जयपुर रेलवे स्टेशन में यात्रियों का सामान ढोना शुरू कर दिया।
शुरुआत में ये काम था मुश्किल, अब लगता है आसान
अपनी कहानी बयां करते हुए मंजू देवी ने कहा कि मेरे पति की मृत्यु के बाद मैं और मेरे 3 बच्चे असहाय हो गए। तब मैं यहां आई क्योंकि उन्होंने (पति) यहां काम किया था। शुरुआत में यह मुश्किल था, मुझे हिंदी या अंग्रेजी समझ नहीं आती थी। बैग उठाना भारी लगता था, लेकिन अब यह आसान है। यहां के और भी कुलियों ने मेरी बहुत मदद की।
लाइसेंस मिलने में भी आईं दिक्कतें
मंजू देवी को शुरू में लाइसेंस मिलने में दिक्कतें आईं, क्योंकि स्टेशन पर कोई भी महिला कुली नहीं थी, लेकिन बाद में उनके अत्यधिक जोर देने पर उन्हें लाइसेंस दिया गया। अभी वो बिल्ला नंबर 15 कुली हैं। लाल कुर्ता और काली सलवार पहन मंजू देवी रोज स्टेशन पहुंचती हैं और अपना काम करती हैं।
यूनिफॉर्म तैयार करने की भी थी चुनौती
अधिकारियों ने मंजू देवी को बताया कि जयपुर रेलवे स्टेशन में कोई महिला कुली नहीं है, जिसकी वजह से शायद उन्हें काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ेगा। इसके बावजूद देवी ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और उन्हें बिल्ला नंबर (बैज नंबर) दे दिया गया। धीरे-धीरे उन्हें नौकरी की हकीकत समझ आने लगी। देवी के सामने उस वक्त खुद की वर्दी (यूनिफॉर्म) तैयार करने की भी चुनौती थी। बहरहाल, तमाम दिक्कतों का सामना करते हुए आज मंजू देवी लाल कुर्ते और काले सलवार में रोज स्टेशन पहुंचती हैं और अपने परिवार के भरणपोषण के लिए यात्रियों का बोझ उठाती हैं।
राष्ट्रपति भवन में मिला है सम्मान
रेलवे की पहली महिला कुली मंजू देवी ने अपने इस काम से जुड़ी बातों को शेयर करते हुए कहा कि कोई भी नौकरी कठिन नहीं है, पुरुष और महिलाएं बराबर हैं। मंजू इस साल राष्ट्रपति भवन में सम्मान प्राप्त करने वाली 90 महिलाओं में से थीं। उन्हें महिलाओं और बाल विकास मंत्रालय द्वारा 112 महिलाओं के साथ सम्मानित भी किया गया था। मंजू की कहानी सुन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भावुक हो गए थे।
मंजू देवी की व्यथा सुन भावुक हो गए थे राष्ट्रपति
देवी उन 112 महिलाओं में से एक थीं जिन्हें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा सम्मानित किया गया था। इनमें पूर्व ब्यूटी क्वीन्स रहीं ऐश्वर्या राय, निकोल फारिया, पर्वतारोही बछेंद्री पाल, अंशू जमसेंपा, मिसाइल वुमन टेसी थॉमस और प्राइवेट डिटेक्टिव रजनी पंडित शामिल थीं। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी 90 महिलाओं के साथ मंजू देवी भी 20 जनवरी 2018 को राष्ट्रपति भवन पहुंची थीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वह देवी के जीवन की कहानी सुनकर भावुक हो गए थे।